पटना के बुद्ध मार्ग में देश का चौथा सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर बन कर तैयार |इसे बनने में बारह साल की लगे। अक्षय तृतीया के पवित्र दिन भव्य इस्कान मंदिर में बांके बिहारी विधिवत रूप से विराजमान हो गए।मंदिर परिसर में राधा-बांके बिहारी, सीताराम, लक्ष्मण एवं हनुमान गौर निताई आदि की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के बाद मंदिर को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है ।
पटना को एक नया आध्यात्मिक केंद्र मिला और श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों को भी एक सुन्दर मंदिर प्रांगण मिला। इस मंदिर में 84 कमरे और 84 पिलर बनाए गए हैं।यहां 84 संख्या,हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार 84 योनियों को दरशा रहा है इन 84 खंभों की परिक्रमा करने पर जीवन के 84 योनि के चक्र से बाहर होगा |
मंदिर की खासियत
* 300 गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था है| * अतिथियों के ठहरने के लिए 70 कमरे बनाए गए हैं। * एक पुस्तकालय है जिसमें आपको धार्मिक ग्रंथों को पढ़ सकते हैं। * परिसर में गोविंदा रेस्टोरेंट बनाया गया है। यहां लोगों को शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलेगा।
पहले किशनगंज, पूर्णिया जिले का महत्वपूर्ण अनुमंडल था, 14 जनवरी 1990 को किशनगंज जिला अस्तित्व में आया।यह पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और नेपाल के कुछ हिस्सों के साथ सीमा साझा करता है। इसे नेपालगढ़ के नाम से जाना जाता था। मुगलों द्वारा विजय प्राप्त करने के बाद इसका नाम बदलकर आलमगंज कर दिया गया और बाद में इसे किशनगंज नाम मिला। इस खूबसूरत शहर की गर्मजोशी और सादगी आपको निश्चित रूप से आकर्षित करेगी।
यह बिहार का एकमात्र ऐसा जिला है जहां चाय का उत्पादन होता है।चाय बागानों की शुरुआत श्री राज करण दफ्तरी द्वारा की गई थी, जिन्हें बिहार के टी मैन के नाम से जाना जाता है, पहली बार वर्ष 1992 में। चाय बागान तीन दशकों में 25000 एकड़ से अधिक भूमि में फैले हुए हैं और वर्तमान में 10 चाय प्रसंस्करण इकाइयाँ चल रही हैं। किशनगंज ‘बिहार का दार्जिलिंग’ भी कहा जाता है |
बिहार के मधुबनी में जिला मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर की दुरी पर मंगरौनी गांव में एक अद्भुत शिवमंदिर स्तिथ है जिसकी स्थापना वर्ष 1953 में प्रसिद्ध तांत्रिक मुनीश्वर झा द्वारा स्वयं महादेव के आशीर्वाद से पूर्ण हुआ । यहां उपस्थित एकादश स्वरूप काले ग्रेनाइट से बने शिवलिंग की चमक आज भी भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रही है।
ऐसे तो मिथिला में कई प्रसिद्ध शिवालय हैं, जिनमें मंगरौनी स्थित एकादश रूद्र शिव मंदिर का काफी महत्व है। इस मंदिर की खासियत एक ही वेदी पर 11 शिवलिंग स्थापित होना हैं। इसीलिए ऐसी मान्यता है कि एकादश रूद्र महादेव की पूजा-अराधना करने से ग्यारह गुना फलों की प्राप्ति होती है।सावन में यहां विशेष पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रहती है। जिला मुख्यालय से एकादश रुद्र मंदिर जाने के लिए सड़क मार्ग से जाया जा सकता है।
बिहार में पर्यटको को मिला आज एक उपहार CM ने नालंदा के राजगीर स्थित जू सफारी का आज उद्घाटन किया। यहां जंगली जानवर खुले में घूमते दिखेंगे, जबकि पर्यटक पिंजरेनुमा बंद बस में घूमेंगे। 250 रुपए की टिकट लेकर जू सफारी का आनंद ले सकते हैं। सैलानी घर बैठेऑनलाइन टिकट भी बुक करा सकते हैं।इसके लिए एक वेबसाइट rajgirzoosafari.in भी उपलब्ध है। जू सफारी के अंदर सुरक्षा के लिए वन विभाग के पुलिसकर्मी के साथ-साथ हर जगह CCTV कैमरे लगाए गए हैं ताकि सुरक्षा व्यवस्था में किसी तरह की कोई भूल ना हो।
250 रुपए का टिकट लेकर जू सफारी का ले सकेंगे आनंद।
rajgirzoosafari.in पर घर बैठे Online टिकट बुक करा सकते हैं।
एशियाई शेर समेत पांच प्रजाति के जंगली जीवों को यहां रखा गया ।
प्रदर्शनी हॉल का भी निर्माण कराया गया है।
बच्चों को खेलने के लिए पार्क का भी निर्माण कराया गया है।
रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन में आज भी लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी धूप घड़ी प्रयोग में है।यह घडी सूर्य की धूप से काम करती है।धूप घड़ी में हिन्दी और रोमन के अंक अंकित हैं। डेहरी के ¨सचाई यांत्रिक प्रमंडल स्थित यह धूप घड़ी, जिसे ब्रिटिश शासन काल में 1871 में स्थापित बनाया गया था, आज भी स्थानीय लोगों के समय देखने के काम आती है। तब अंग्रेजों ने अपने अधीन कार्यरत कामगारों को समय का ज्ञान कराने के लिए इस घड़ी का निर्माण कराया था। जिसे एक चबूतरे पर स्थापित किया गया है। हालांकि सरकार और विभाग की उदासीनता के कारण इस धरोहर को नुकसान पहुंच रहा है।बिहार सरकार को इस धरोहर को बचाने के लिए कोई मजबूत कदम उठाना चाहिए नहीं तो आनेवाली पीढ़ी धूप घड़ी से वंचित हो जाएगी।
अररिया जिला बिहार के जिलों में से एक है और अररिया शहर इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यहाँ की एक खासियत है की साफ मौसम में हिमालय पर्वतमाला की महान चोटियों में से एक कंचनजंगा पर्वत दिखाई पड़ता है। अररिया गंगा की डॉल्फ़िन का प्राकृतिक आवास है। अररिया की स्थानीय नदियों में गंगा की डॉल्फ़िन पाई जाती हैं।गंगा नदी के बाद जिले से होकर बहने वाली सबसे प्रमुख नदी पनार में जलीय प्राणी डॉल्फिन सबसे ज्यादा पाए जाते हैं.लेकिन सरकारी उदासीनता की वजह से अबतक इस इलाके के लिए सौभाग्य माने जाने वाला राष्ट्रीय संरक्षित जीव डॉलफिन अभ्यारण की मांग को केंद्र और राज्य की सरकार अनदेखी कर रही है. एक मशहूर फिल्म “तीसरी कसम ” की सूटिंग अररिया में हुई थी
शक्ति रूपेण संस्थिता – बखोरापुर काली मंदिर इतिहास :- काली मंदिर ट्रस्ट के सचिव के अनुसार 1862 मे भयंकर हैजा फैला हुआ था जिसमे लगभग पांचसौ ( 500 ) से अधिक लोगो की मौत हो गई थी , तभी इस गांव मे एक साधु का प्रवेश हुआ उन्होंने माँ काली की पिंड की स्थापना की बात कही थी | साथ ही कहा की ऐसा करने से बीमारी रुक जायेगा गांव के बड़े -बुजुर्गो ने सलाह -मशवरा के बाद नीम के पेड़ के पीछे माँ काली के नौ -पिंड की स्थपना कर पूजा अर्चना की शुरुआत की गई ,चंद दिनों बाद ही साधु अदृश्य हो गया |साथ ही हैजा गांव से धीरे – धीरे समाप्त हो गया आज भी नीम का पेड़ उसी जगह उपस्थित है वही पर माँ काली का मंदिर स्थापित की गई है |
लोगो के इस मंदिर के प्रति श्रद्धा दिन - प्रतिदिन वृद्धि हो रही है गांव मे एक ओर एक दूसरी घटना अप्रैल 2004 की है जब मंदिर मे राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सो का आयोजन की गई थी दो लाख से अधिक लोगो का जमावड़ा था ,पेड़ के निचे लगभग 200 से अधिक लोग बैठे थे अचानक 25 फ़ीट ऊपर से पेड़ की एक डाल टूट गई लेकिन किसी भी व्यक्ति को खरोच तक नहीं लगा | इस घटना से लोगो मे माँ के प्रति श्रद्धा और महिमा मे उत्तरोत्तर बृद्धि हो रही है |
कैसे पहुंचे बखोरापुर :- देश के सभी मार्गो से जुड़ा है जगदीशपुर ,पीरो , आरा , कोइलवर प्रमुख शहर और दूर दराज के गावो से सड़क मार्ग सेअच्छी तरह जुड़ा हुआ है |भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत बखोरापुर जो आरा रेलवे स्टेशन से लगभग 12 कम की दूरी पर है |यहाँ जाने के लिए शहर के सभी स्थान या गंगी पुल के पास वाहन आसानी से मिल जाता है |रेलमार्ग के द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है ,पटना से 56km की दूरी पर है पटना – दानापुर कोइलवर होते हुए आरा जंक्शन और दूसरी तरफ दीन दयाल ( मुगलसराय ) रेलप्रमण्डल की ओर से बक्सर होते हुए भी आरा जंक्शन पंहुचा जा सकता है |
कहाँ ठहरे :- यहाँ ठहरने के लिए उत्तम होटल या धर्मशाला की व्यवस्था है आरा शहर मे अनेक होटल या धर्मशाला मिल जाएंगे अब बखोरापुर मे भी मंदिर के बगल मे होटल और धर्मशाला मिल जायेगा जहाँ पर भक्त ठहर सकते है साथ ही खाने पीने की भी उत्तम व्यवस्था की गई है |
प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद Email :- prasad.bipin98@gmail.com
शेखपुरा जिला मुख्यालय से महज ग्यारह किमी की दुरी पर बरबीघा-वारिसलीगंज सड़क पर यह स्थान अवस्थित है। यहां पर पांच जुलाई 1992 को तालाब की खुदाई में भगवान विष्णु की आदमकद पत्थर की विशाल प्रतिमा मिली थी |दुनिया में भगवान विष्णु की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति स्थानिक मुद्रा यानी खड़े हुए मुद्रा में भगवान विष्णु की पत्थर की प्रतिमा है .तिरुपति में स्थित मंदिर की विष्णु प्रतिमा इससे बड़ी बताई जाती है .भगवान विष्णु की इसी विशाल प्रतिमा की वजह से इस स्थान को उत्तर भारत का तिरुपति बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। यहां जेठान कार्तिक की एकादशी से पूर्णिमा तक चार दिनों का देवोत्थान मेला हर साल आयोजित होता है।
How to reach Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar
By Air :::: BarBigha by bus or taxi ahead of Gaya or Patna airport
By Train :::: Gaya or Lakhisarai Station from Sheikhpura station and forward Taxi from Barbegha
By Road :::: Gaya or Lakhisarai or Patna to Bihar Sharif & By taxi to Barbegha
महादेव सिमरया मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य जमुई -सिकंदरा मार्ग से एक सड़क जुडी है, जो की एकमात्र रास्ता है|
इस मंदिर के विषय में एक प्रमुख कथा है, की परसण्डा के राजा श्री पूरणमल सिंह महादेव के अनन्य भक्त थे और हमेशा बाबा महादेव के दरबार देवघर में जाते थे एक बार नदी में काफी पानी होने के कारण वो कई बार प्रयास करने के बाद भी देवघर पूजा करने नहीं जा सके तो काफी व्यथित हो गए इसी दरम्यान सीमारिआ गांव में एक धनेश्वर नाम का कुम्हार रहता था वह मिटटी लेने गया तो खुदाई के दौरान एक शिवलिंग के रूप का पत्थर मिला उसे उठा कर दूसरे स्थान पैर रख कर मिटटी की खुदाई कर चला गया अगले दिन जब वह पुनः मिटटी लेने गया थो पथर अपने पुराने स्थान पर मिला यह सिलसिला कई दिनों तक चला फिर इसकी खबर राजा पुराण मल को मिली फिर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी उसी स्वरूप में स्तिथ है |
आसपास के ग्रामीणों की आस्था का केंद्र बना मदिर आज भी सरकारी नज़रअंदाज़ी का दंश झेल रहा है पर स्थानीय लोगो के प्रयास से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है