GOGABEEL, AN OX-BOW LAKE IS BIHAR’S FIRST COMMUNITY RESERVE

बिहार में का बा ?

कटिहार के मनिहारी ब्लाक में गोगाबिल झील है। करीब 217 एकड़ में फैली यह झील एक ओर गंगा तो दूसरी ओर महानंदा से घिरी है। साल में चार से छह महीने तक खेतों में पानी भरा रहने के कारण ग्रामीण एक ही फसल ले पाते हैं। अब इस जलभराव और यहां की हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है। ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए दी है।
हाल ही में गोगाबील को बिहार का पहला सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया गया है जो बिहार का 15वाँ संरक्षित क्षेत्र (Protected एरिया) भी है।बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क द्वारा गोगाबील को वर्ष 1990 में एक बंद क्षेत्र (Closed Area) के रूप में अधिसूचित किया गया था। 
इस बंद क्षेत्र (Closed Area) की स्थिति को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत संरक्षित क्षेत्र में बदल दिया गया। 
इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क द्वारा वर्ष 2004 में गोगाबील को बाघार बील और बलदिया चौर सहित भारत का महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया था।
गोगाबील एक स्थायी जल निकाय है, हालाँकि यह गर्मियों में कुछ हद तक सिकुड़ती है लेकिन कभी पूरी तरह से सूखती नहीं है।
इस स्थल पर 90 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से लगभग 30 प्रवासी हैं। इस स्थल पर ब्लैक इबिस, एश्ली स्वॉल श्रीके, जंगल बब्बलर, बैंक मैना, रेड मुनिया, उत्तरी लापविंग और स्पॉटबिल डक जैसी अन्य प्रजातियांँ मिलती हैं।
IUCN द्वारा लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क (Lesser Adjutant Stork) को सुभेद्य (Vulnerable) घोषित किया गया है, वहीं ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, व्हाइट इबिस और व्हाइट-आईड पोचर्ड को संकटापन्न (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया लम्बे समय तक जलमग्न रहने वाले इस क्षेत्र को हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है. ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए राज्य सरकार को दे दी है. यहां करीब 73.78 एकड़ सरकारी जमीन पर कंजर्वेशन रिजर्व बनाया गया है. जबकि ग्रामीणों की 143 एकड़ भूमि पर गोगाबिल सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया है |
कटिहार के मनिहारी ब्लाक में ग्रामीणों ने अनूठी पहल की है। यहां के मौजा जंगला टाल इंग्लिश के निवासियों ने अपनी 143 एकड़ बिहार का पहला सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य बनाने की पहल की है। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की है। अब इस रैयती भूमि पर ईको टूरिज्म विकसित होगा। इलाके की तस्वीर बदलेगी। देश-दुनिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का यहां बसेरा होगा।सरकार-ग्रामीण मिलकर बना रहे आचार संहिता इस इलाके में क्या होगा और क्या नहीं यह विभाग और गांव वाले मिलकर तय कर रहे हैं। अब वहां शिकार नहीं होगा। जंगल के पेड़-पौधे भी नहीं काटे जाएंगे। वहां बोर्ड लगेंगे। बोर्ड पर वहां के नक्शे के साथ लिखा जाएगा कि क्या-क्या प्रतिबंधित है। इलाके की हदबंदी की जाएगी।

बिहार में ई बा !

प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email prasad.bipin98@gmail.com

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