Holy Saviour Church of Arrah,Bihar

बिहार में का बा ?

जॉर्ज पंचम होली सेवियर चर्च ,भोजपुर (आरा )

आरा ,बिहार के वीर कुंवर सिंह मैदान के पश्चिमी -दक्षिणी हिस्सा और सदर अनुमंडलाधिकारी के आवास के बीच. मे अवस्थित ,एक प्राचीन चर्च ,ऐतिहासिक दृटिकोण से यह बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर है| यह पूरी तरह से इंग्लिश शैली मे निर्मित भवन है | देश मे इस शैली के चर्च गिना चुना ही है इसकी बनावट और मजबूती के कारण शहर के साथ -साथ पुरे बिहार का आकर्षण का केंद्र है |
ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि के अनुसार कभी जर्ज पंचम को प्रार्थना के लिए इसका निर्माण करवाया गया था | सन 1911 मे भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनी इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम को कोलकाता से दिल्ली जाने के क्रम मे आरा मे एक रविवार पड़ता था , इसी रविवार के मद्देनज़र बहुत ही धार्मिक प्रवृति के जॉज पंचम को प्रार्थना के लिए इस चर्च का निर्माण करवाया गया था | प्रार्थना के दिन आरा रेलवे स्टेशन से चर्च तक के रोड को रेड कारपेट बिछाया गया था | जॉर्ज पंचम के बाद इस चर्च को फौजी यहाँ प्रार्थना करते थे | आज़ादी के पूर्व इसमें एक लाइब्रेरी थी जिसमे अधिकांश धार्मिक पुस्तकों के आलावा अन्य पुस्तके थी | आज़ादी के बाद अंग्रेज फौजियों के यहाँ से जाने के बाद चर्च ऑफ़ नार्थ इंडियन , भागलपुर के इस चर्च को मेथोडिस्ट चर्च को सौप दिया |चर्च मे पुलपिट (प्रार्थना वेदी ) के पीछे के हिस्से मे बहुत ही आकर्षक रंगीन शीशे लगे थे जिस पर जीजस की तस्वीर बनी थी |इस शीशे से जब सूर्ये की रौशनी चर्च मे आती थी तो बहुत सूंदर लगता था ,साथ ही पादरी के लिए बहुत ही सूंदर कुर्सी भी थी | लेकिन समय के साथ – साथ और सरकार की अनभिज्ञता
के कारण आज यह चर्च जर -जर अवस्था मे पहुंच गई है | अधिकांश वस्तुए चर्च की चोरी हो गई है ,या क्षतिग्रस्त हो चुकी है इसे बिहार सरकार के द्वारा पर्यटन और ऐतहासिक धरोहर और शहरी सौंदर्यकरण के लिए इसे बिकसित किया का सकता है |
ऐसा उम्मीद की जा सकती है बिहार सरकार के द्वारा इसे आमूल धरोहर को बचाया जायेगा और पर्यटन के क्षैत्र मे इसे बिकसित किया जायेगा|

Story By :Bipin Bihari Prasad(Email: prasad.bipin98@gmail.com)

Kshtriyakund Jain Temple,Jamui,Bihar

क्षत्रियकुंड,जमुई,बिहार में जैन समुदाय का प्रमुख तीर्थस्थल है इसका इत्तिहास लगभग २६०० साल पुराना है यहां की मान्यता मुख्या रूप सेभगवान महावीर के जन्म से संबधित है इसलिए इस जगह का नाम यहां स्थानीय लोगो के बीच जन्मस्थली के रूप में किया जाता है।क्षत्रियकुंड जाने के रस्ते में लछुआर गांव में एक जैन तीर्थयात्रियों के लिए निर्मित 65 कमरों का एक बड़ा और पुराना विश्राम गृह (धर्मशाला) है। धर्मशाला के अंदर भगवान महावीर का मंदिर है। इस मंदिर की मूर्ति 2,600 साल से भी ज्यादा पुरानी है। काले पत्थर की इस मूर्ति का वजन लगभग 250 किलोग्राम है। यह भगवान महावीर की जन्मभूमि क्षत्रिय कुंड ग्राम के रास्ते में स्थित है। यह स्थान सिकंदरा ब्लॉक में स्थित है जो लगभग जमुई जिला मुख्यालय से पश्चिम.20 किमी. है जंगल के बीच में यह स्थल आज भी एक अनोखे सुकून को संजो कर रखा है आज भी इस पवित्र तीर्थ का एक स्पर्श रोमांचित करता है। इस तीर्थ के संदर्भ में जो प्रचलित मान्यता निम्न प्रकार से है

क्षत्रियकुंड तीर्थ अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर के समय से पहले के काल का है। यह भगवान महावीर के पिता राजा सिद्धार्थ की राजधानी थी,राजा सिद्धार्थ की पत्नी त्रिशला राजा चेतक की बेटी थी। भगवान उनसे उत्पन्न हुए थे। जब भगवान अपने गर्भ में थे, तब त्रिशलामाता ने चौदह महान स्वप्न देखे। धन और मक्का में वृद्धि हुई। राज्य में सर्वत्र सुख-शान्ति बढ़ती गई। इसलिए उनके जन्म के बारहवें दिन भगवान को’वर्धमान’ नाम दिया गया। भगवान का विवाह राजा समरवीर की पुत्री यशोदादेवी से हुआ था। भगवान को सांसारिक सुखों से कोई लगाव नहीं था। उन्होंने अपने बड़े भाई नंदीवर्धन की अनुमति से विक्रम संवत के वर्ष ५१३ में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दीक्षा ली। भगवान तब ३० वर्ष के थे। इस प्रकार भगवान ने अपने जीवन के ३० वर्ष इस पवित्र भूमि पर गुजारे। यहां भगवान के तीन कल्याणक हुए।इसलिए इस भूमि का प्रत्येक कण पवित्र है और इस तीर्थ का बहुतमहत्व है। यहां का शांत और शांत वातावरण आज भी भगवान कीभक्ति की धारा को स्थापित करता है, मानव हृदय में प्रवाहित होकर सांसारिक मामलों को भूलकर मनुष्य, भगवान की पूजा में तल्लीन होजाता है। आज भी इस पवित्र तीर्थ का स्पर्श मनुष्य को रोमांचित कर देता है।

निकटतम रेलवे स्टेशन:
जमुई रेलमार्ग भारत के कई प्रमुख शहरों से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर स्थित जमुई स्टेशन झाझा और क्वाल स्टेशन के बीच स्थित है। जमुई पहुंचने के लिए रेल मार्ग से प्रतिदिन दो दर्जन से अधिक ट्रेनें उपलब्ध हैं। 
निकटतम हवाई अड्डा :
पटना में जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जमुई पटना से 161 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा गया,यहां एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। जमुई गया से 136 किलोमीटर दूर स्थित है।
सड़क मार्ग
जमुई तक भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
बिहार कई धर्मो की उदगम स्थली है और जैसा की हम जानते है की 
 जैन धर्म का उदगम बिहार से ही हुआ है आज भी केंद्र और राज्य 
 सरकारों का ध्यान इन ऐतिहासिक स्थलों पर जितना ध्यान देना चाहिए नहीं 
 दिया जा रहा है अगर इनका विकास सही तरीके से किया जाये तो 
 बिहार की तरक्की में पर्यटन का भी विशेष सहयोग रहेगा । 
 आज भी स्थानीय नागरिको को सही से प्रशिक्षण दे कर आने वाले 
 पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी की जा सकती है जो की इस 
 इलाके के खुशहाल करने का सही मार्ग होगा ।

जय जिनेन्द्रा | जय बिहार| जय हिन्द |