बिहारी जी का नया पता, बुद्ध मार्ग पटना, बिहार

पटना के बुद्ध मार्ग में देश का चौथा सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर बन कर तैयार |इसे बनने में बारह साल की लगे। अक्षय तृतीया के पवित्र दिन भव्य इस्कान मंदिर में बांके बिहारी विधिवत रूप से विराजमान हो गए।मंदिर परिसर में राधा-बांके बिहारी, सीताराम, लक्ष्मण एवं हनुमान गौर निताई आदि की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के बाद मंदिर को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है ।

PATNA ISKCON TEMPLE

पटना को एक नया आध्यात्मिक केंद्र मिला और श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों को भी एक सुन्दर मंदिर प्रांगण मिला। इस मंदिर में 84 कमरे और 84 पिलर बनाए गए हैं।यहां 84 संख्या,हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार 84 योनियों को दरशा रहा है इन 84 खंभों की परिक्रमा करने पर जीवन के 84 योनि के चक्र से बाहर होगा |

मंदिर की खासियत


* 300 गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था है|
* अतिथियों के ठहरने के लिए 70 कमरे बनाए गए हैं।
* एक पुस्तकालय है जिसमें आपको धार्मिक ग्रंथों को पढ़ सकते हैं।
* परिसर में गोविंदा रेस्टोरेंट बनाया गया है। यहां लोगों को शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलेगा।

‘चार्ली चैपलिन’ के नाम से फेमस है बिहार का ये एक्टर राजन कुमार

अपने बिहार के रहने वाले राजन कुमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी है अपने मेहनत के बल मुंगेर,बिहार के एक छोटे से गांव टेटियाबम्बर से निकलकर कला जगत में अपना स्थान बनाया। एक्टर राजन कुमार चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) का किरदार निभाने के कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness Book of World Records) और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड (Limca Book of Records) में नाम दर्ज करवा चुके है।

राजन कुमार ने अपने करियर की शुरुआत थियेटर से की थी. इसके बाद टीवी सीरियल सीआईडी, ये हवाएं, हीरो, लापतागंज, चिड़ियाघर और सीआईडी में काम किया. हिंदी फिल्म ‘एजेंट विनोद’ और ‘बंटी बबली’ में भी उन्होंने अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरा है।

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने 1 मई को अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लिए हैं. इस खास मौके पर शताब्दी समारोह भव्य रूप से मनाया गया जिसमें मुंगेर के राजन कुमार को एआईआईपीपीएचएस स्टेट गवर्मेंट यूनिवर्सिटी दिल्ली द्वारा ऑनरेरी डॉक्टरेट की डिग्री दी गई है. उन्हें उनकी पिछले 25 वर्षों की कला के क्षेत्र में उपलब्धियों को देखते हुए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा गया है।

हमारे टीम की तरफ से राजन कुमार जी को हार्दिक बधाई |

Kishanganj

पहले किशनगंज, पूर्णिया जिले का महत्वपूर्ण अनुमंडल था, 14 जनवरी 1990 को किशनगंज जिला अस्तित्व में आया।यह पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और नेपाल के कुछ हिस्सों के साथ सीमा साझा करता है। इसे नेपालगढ़ के नाम से जाना जाता था। मुगलों द्वारा विजय प्राप्त करने के बाद इसका नाम बदलकर आलमगंज कर दिया गया और बाद में इसे किशनगंज नाम मिला। इस खूबसूरत शहर की गर्मजोशी और सादगी आपको निश्चित रूप से आकर्षित करेगी।

यह बिहार का एकमात्र ऐसा जिला है जहां चाय का उत्पादन होता है।चाय बागानों की शुरुआत श्री राज करण दफ्तरी द्वारा की गई थी, जिन्हें बिहार के टी मैन के नाम से जाना जाता है, पहली बार वर्ष 1992 में। चाय बागान तीन दशकों में 25000 एकड़ से अधिक भूमि में फैले हुए हैं और वर्तमान में 10 चाय प्रसंस्करण इकाइयाँ चल रही हैं। किशनगंज ‘बिहार का दार्जिलिंग’ भी कहा जाता है |