Indian currency signed by a Bihari : LAXMI KANT JHA

 "देश की आर्थिक नीतियों के निर्माता,विश्वविख्यात प्रशासक,राजनयिक, अर्थशास्त्री और अंतिम समय तक अपने काम के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहे।"

श्री लक्ष्मी कांत झा (LAXMI KANT JHA), का जन्म 22 November 1913,अपने बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था | ।इन्होने अपनी शिक्षा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) ,ट्रिनिटी कॉलेज , कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ,और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ,U.K . प्राप्त की |श्री झा भारतीय सिविल सेवा के 1936 बैच के सदस्य थे | ब्रिटिश शासन के दौरान आपूर्ति विभाग में उप सचिव बने और 1946 के नए साल के सम्मान में उनकी सेवा के लिए एमबीई (Member of the Most Excellent Order of the British Empire)नियुक्त किया गया।

स्वतंत्रता के बाद उन्होंने उद्योग, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों में सचिव और भारत के प्रधान मंत्री, लाल बहादुर शास्त्री (1964-66) के सचिव के रूप में कार्य किया था।और इंदिरा गांधी ने (1966-67) इन्हे आरबीआई के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया ।
उनके कार्यकाल के दौरान 2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गांधी की जन्मशती के उपलक्ष्य में भारतीय रुपये के प्रतीक 2, 5, 10, और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय रुपये के नोट जारी किए गए, इन नोटों पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उनके हस्ताक्षर हैं। भारत सरकार की आधिकारिक भाषा, हिंदी में हस्ताक्षर, भारतीय रिजर्व बैंक के उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार करेंसी नोटों पर दिखाई दिए।ये हस्ताक्षर एक बिहारी के है ये सोच कर ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है

इन्ही के कार्यकाल में 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण, वाणिज्यिक बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण की शुरुआत, राष्ट्रीय ऋण परिषद की स्थापना और ऋण वितरण की सुविधा के लिए अग्रणी बैंक योजना की शुरुआत हुई।उन्होंने 1970-73 की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया जब भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा और बांग्लादेश को मुक्त कराया। हाइन्ज़ अल्फ्रेड किसिंजर(एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ, राजनयिक और भू-राजनीतिक सलाहकार हैं, जिन्होंने रिचर्ड निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के राष्ट्रपति प्रशासन के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य किया।) ने व्हाइट हाउस के वर्षों में उनकी प्रेरक राजनयिक कौशल स्वीकार किया है।
श्री लक्ष्मी कांत झा, 3 जुलाई 1973 से 22 फरवरी 1981 तक जम्मू और कश्मीर राज्य के राज्यपाल थे। एक निष्पक्ष राज्य प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका को आज भी जम्मू-कश्मीर में स्नेह और सम्मान के साथ याद किया जाता है।
वह 1980 के दशक के दौरान उत्तर-दक्षिण आर्थिक मुद्दों पर ब्रांट आयोग(Independent Commission on International Development Issues) के सदस्य थे ।
वह भारत सरकार के आर्थिक प्रशासन सुधार आयोग के अध्यक्ष 1981-88 तक थे। । उन्होंने पीएम के आर्थिक मामलों के सलाहकार के रूप में भी काम किया। इंदिरा गांधी और बाद में राजीव गांधी। अपनी मृत्यु के समय झा राज्यसभा के सदस्य थे।
श्री झा ने Mr. Red Tape and Economic Strategy for the 80s: Priorities for the Seventh Plan सहित कई किताबें लिखीं।


धन्यवाद् दिल की गहराई से,
हम बिहारियों को गर्वित महसूस कराने के लिए !

Kali Temple in Bakhorapur Bihar (Bhojpur) Ara

बखोरापुर मंदिर

शक्ति रूपेण संस्थिता – बखोरापुर काली मंदिर
इतिहास :- काली मंदिर ट्रस्ट के सचिव के अनुसार 1862 मे भयंकर हैजा फैला हुआ था जिसमे लगभग पांचसौ ( 500 ) से अधिक लोगो की मौत हो गई थी , तभी इस गांव मे एक साधु का प्रवेश हुआ उन्होंने माँ काली की पिंड की स्थापना की बात कही थी | साथ ही कहा की ऐसा करने से बीमारी रुक जायेगा
गांव के बड़े -बुजुर्गो ने सलाह -मशवरा के बाद नीम के पेड़ के पीछे माँ काली के नौ -पिंड की स्थपना कर पूजा अर्चना की शुरुआत की गई ,चंद दिनों बाद ही साधु अदृश्य हो गया |साथ ही हैजा गांव से धीरे – धीरे समाप्त हो गया आज भी नीम का पेड़ उसी जगह उपस्थित है वही पर माँ काली का मंदिर स्थापित की गई है |

               लोगो के इस मंदिर के प्रति श्रद्धा दिन - प्रतिदिन वृद्धि हो रही है गांव मे एक ओर एक  दूसरी घटना अप्रैल 2004 की है जब मंदिर मे राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सो का आयोजन की गई थी दो लाख से अधिक लोगो का जमावड़ा था ,पेड़ के निचे लगभग 200  से अधिक लोग बैठे थे अचानक 25  फ़ीट ऊपर से पेड़ की एक डाल  टूट गई लेकिन किसी भी व्यक्ति को खरोच तक नहीं लगा | इस घटना से लोगो मे माँ के प्रति श्रद्धा और महिमा मे उत्तरोत्तर बृद्धि हो रही है |

कैसे पहुंचे बखोरापुर :- देश के सभी मार्गो से जुड़ा है जगदीशपुर ,पीरो , आरा , कोइलवर प्रमुख शहर और दूर दराज के गावो से सड़क मार्ग सेअच्छी तरह जुड़ा हुआ है |भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत बखोरापुर जो आरा रेलवे स्टेशन से लगभग 12 कम की दूरी पर है |यहाँ जाने के लिए शहर के सभी स्थान या गंगी पुल के पास वाहन आसानी से मिल जाता है |रेलमार्ग के द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है ,पटना से 56km की दूरी पर है पटना – दानापुर कोइलवर होते हुए आरा जंक्शन और दूसरी तरफ दीन दयाल ( मुगलसराय ) रेलप्रमण्डल की ओर से बक्सर होते हुए भी आरा जंक्शन पंहुचा जा सकता है |


कहाँ ठहरे :- यहाँ ठहरने के लिए उत्तम होटल या धर्मशाला की व्यवस्था है आरा शहर मे अनेक होटल या धर्मशाला मिल जाएंगे अब बखोरापुर मे भी मंदिर के बगल मे होटल और धर्मशाला मिल जायेगा जहाँ पर भक्त ठहर सकते है साथ ही खाने पीने की भी उत्तम व्यवस्था की गई है |


प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email :- prasad.bipin98@gmail.com

Tirupati of North India,Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar

शेखपुरा जिला मुख्यालय से महज ग्यारह किमी की दुरी पर बरबीघा-वारिसलीगंज सड़क पर यह स्थान अवस्थित है। यहां पर पांच जुलाई 1992 को तालाब की खुदाई में भगवान विष्णु की आदमकद पत्थर की विशाल प्रतिमा मिली थी |दुनिया में भगवान विष्णु की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति स्थानिक मुद्रा यानी खड़े हुए मुद्रा में भगवान विष्णु की पत्थर की प्रतिमा है .तिरुपति में स्थित मंदिर की विष्णु प्रतिमा इससे बड़ी बताई जाती है .भगवान विष्णु की इसी विशाल प्रतिमा की वजह से इस स्थान को उत्तर भारत का तिरुपति बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। यहां जेठान कार्तिक की एकादशी से पूर्णिमा तक चार दिनों का देवोत्थान मेला हर साल आयोजित होता है।

How to reach Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar

By Air :::: BarBigha by bus or taxi ahead of Gaya or Patna airport

By Train :::: Gaya or Lakhisarai Station from Sheikhpura station and forward Taxi from Barbegha

By Road :::: Gaya or Lakhisarai or Patna to Bihar Sharif & By taxi to Barbegha

MAHADEV SIMARIA ,JAMUI

महादेव सिमरया मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य जमुई -सिकंदरा मार्ग से एक सड़क जुडी है, जो की एकमात्र रास्ता है|

इस मंदिर के विषय में एक प्रमुख कथा है, की परसण्डा के राजा श्री पूरणमल सिंह महादेव के अनन्य भक्त थे और हमेशा बाबा महादेव के दरबार देवघर में जाते थे एक बार नदी में काफी पानी होने के कारण वो कई बार प्रयास करने के बाद भी देवघर पूजा करने नहीं जा सके तो काफी व्यथित हो गए इसी दरम्यान सीमारिआ गांव में एक धनेश्वर नाम का कुम्हार रहता था वह मिटटी लेने गया तो खुदाई के दौरान एक शिवलिंग के रूप का पत्थर मिला उसे उठा कर दूसरे स्थान पैर रख कर मिटटी की खुदाई कर चला गया अगले दिन जब वह पुनः मिटटी लेने गया थो पथर अपने पुराने स्थान पर मिला यह सिलसिला कई दिनों तक चला फिर इसकी खबर राजा पुराण मल को मिली फिर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी उसी स्वरूप में स्तिथ है |


आसपास के ग्रामीणों की आस्था का केंद्र बना मदिर आज भी सरकारी नज़रअंदाज़ी का दंश झेल रहा है पर स्थानीय लोगो के प्रयास से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है

Non-stop chants of Sita-Ram are being done from past 61 years in Baghi dham,Bihar

अपने बिहार की राजधानी पटना से 150 KM दूर सीतामढ़ी जिले में एक शिव मंदिर जिसे बगही धाम के नाम से जाना जाता है |
इस धाम में विगत 61 वर्षो से लगातार भगवान का कीर्तन चल रहा है सुनने में अविश्वनीय जरूर लग रहा है पर भी लोग इस धाम से वाकिफ है उन्हें ये पता है की 1954 से ही गुरु नारायण दास के द्वारा शुरू किया हुआ,अखंड संकीर्तन आज भी चल रहा है इसका संचालन स्थानीय ग्रामीणों और आश्रम में रहने वाले संतो के सम्मिलित प्रयास से निरंतर चल रहा है |और इसे दो-दो घंटे के पारी में बांटा गया है,हरेक दो घंटे के अंतराल में निर्धारित समूह योगदान दे कर इसे सुचारु रूप से चलाता है
|आज यह धाम सीतमढी सहित आस पास के पांच छह जिलों में जैसे दरभंगा,मधुबनी ,मोतिहारी शिवहर,मुज़फरपुर ,मोतिहारी और नेपाल के लोगो का आस्था का केंद्र है |बाबा ने जन सहयोग से उस स्थान पर एक 108 कमरों का चार मंजिला भवन बनवाया। यह एक गोल भवन की तरह है। जिसमें चार द्वार है |

बाबा नारायण दास का जन्म बगही गांव के एक साधारण परिवार में 17 फरवरी 1917 को हुआ था। बाबा का वास्तविक नाम छतर दास यादव था। जो बाद में तपस्वी नारायण दास के नाम से ख्यात हुए। सवा दो सौ साल पहले रंजीतपुर गांव के भूल्लर साह रौनियार ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में आकर बाबा नारायण दास तप करने लगे। तप के माध्यम से उन्होंने अलौकिक शक्ति प्राप्त की और निकल पड़े जन कल्याण की राह पर। उन्होंने राम नाम जाप के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। राम नाम का जाप करते हुए वृंदावन में बाबा ने 7 दिसंबर 2000 को अपने शरीर का त्याग किया।

Artkala YouTube channel is worlds 2nd largest DIY Channel running from Bihar by Bihari

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े DIY Creator (Do it Yourself Creator) YouTube Channel अपने बिहार से है क्या आप जानते है ?

बिहारियों ने सभी क्षेत्रो में अपना लोहा मनवाया है और सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी अपना जलवा दिखाया है बिहारियों ने यूट्यूब प्लेटफार्म पर अपना नाम आगे रखा है उनके वीडियोस बहुत पॉपुलर है और पूरी दुनिया में अपना और बिहार का नाम रोशन कर रहे है Artkala एक ऐसा ही यूट्यूब चैनल तीन बिहारियों के लग्नशीलता और अनोखी सोच का एक प्रतिफल है ।
बिहार के युवाओ के एक अनोखा प्रयास जिसमे घर के व्यर्थ के सामान का और कुछ मामूली फेविकोल जैसी चीजों का प्रयोग करके उसे दुबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जा सकता है और इस प्रयास को दुनिया भर के लोगो का प्यार मिला और Artkala के सब्स्क्रिबरो की लगातार बढ़ती हुई संख्या इसकी सफलता का प्रमाण है ।
पवन कुमार पटना-बिहार का एक 19 वर्षीय लड़का है, जिसने 25 सितंबर 2016 को अपनी दो बड़ी बहनों स्नेहा कुमारी और पूजा कुमारी के साथ अपना YouTube चैनल शुरू किया।उन्हें अपने परिवार से मदद मिला, जिन्होंने उन्हें वीडियो बनाने में खर्च करने के लिए कुछ आर्थिक मदद दे कर उनका उत्साहवर्धन किआ ।
हमें यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि अब Artkala बिहार से चलने वाला और बिहारियों द्वारा चलाया जाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा DIY चैनल है ।
हमें गौरवान्वित करने के लिए धन्यवाद ।
https://www.artkala.com/

Holy Saviour Church of Arrah,Bihar

बिहार में का बा ?

जॉर्ज पंचम होली सेवियर चर्च ,भोजपुर (आरा )

आरा ,बिहार के वीर कुंवर सिंह मैदान के पश्चिमी -दक्षिणी हिस्सा और सदर अनुमंडलाधिकारी के आवास के बीच. मे अवस्थित ,एक प्राचीन चर्च ,ऐतिहासिक दृटिकोण से यह बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर है| यह पूरी तरह से इंग्लिश शैली मे निर्मित भवन है | देश मे इस शैली के चर्च गिना चुना ही है इसकी बनावट और मजबूती के कारण शहर के साथ -साथ पुरे बिहार का आकर्षण का केंद्र है |
ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि के अनुसार कभी जर्ज पंचम को प्रार्थना के लिए इसका निर्माण करवाया गया था | सन 1911 मे भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनी इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम को कोलकाता से दिल्ली जाने के क्रम मे आरा मे एक रविवार पड़ता था , इसी रविवार के मद्देनज़र बहुत ही धार्मिक प्रवृति के जॉज पंचम को प्रार्थना के लिए इस चर्च का निर्माण करवाया गया था | प्रार्थना के दिन आरा रेलवे स्टेशन से चर्च तक के रोड को रेड कारपेट बिछाया गया था | जॉर्ज पंचम के बाद इस चर्च को फौजी यहाँ प्रार्थना करते थे | आज़ादी के पूर्व इसमें एक लाइब्रेरी थी जिसमे अधिकांश धार्मिक पुस्तकों के आलावा अन्य पुस्तके थी | आज़ादी के बाद अंग्रेज फौजियों के यहाँ से जाने के बाद चर्च ऑफ़ नार्थ इंडियन , भागलपुर के इस चर्च को मेथोडिस्ट चर्च को सौप दिया |चर्च मे पुलपिट (प्रार्थना वेदी ) के पीछे के हिस्से मे बहुत ही आकर्षक रंगीन शीशे लगे थे जिस पर जीजस की तस्वीर बनी थी |इस शीशे से जब सूर्ये की रौशनी चर्च मे आती थी तो बहुत सूंदर लगता था ,साथ ही पादरी के लिए बहुत ही सूंदर कुर्सी भी थी | लेकिन समय के साथ – साथ और सरकार की अनभिज्ञता
के कारण आज यह चर्च जर -जर अवस्था मे पहुंच गई है | अधिकांश वस्तुए चर्च की चोरी हो गई है ,या क्षतिग्रस्त हो चुकी है इसे बिहार सरकार के द्वारा पर्यटन और ऐतहासिक धरोहर और शहरी सौंदर्यकरण के लिए इसे बिकसित किया का सकता है |
ऐसा उम्मीद की जा सकती है बिहार सरकार के द्वारा इसे आमूल धरोहर को बचाया जायेगा और पर्यटन के क्षैत्र मे इसे बिकसित किया जायेगा|

Story By :Bipin Bihari Prasad(Email: prasad.bipin98@gmail.com)