Kali Temple in Bakhorapur Bihar (Bhojpur) Ara

बखोरापुर मंदिर

शक्ति रूपेण संस्थिता – बखोरापुर काली मंदिर
इतिहास :- काली मंदिर ट्रस्ट के सचिव के अनुसार 1862 मे भयंकर हैजा फैला हुआ था जिसमे लगभग पांचसौ ( 500 ) से अधिक लोगो की मौत हो गई थी , तभी इस गांव मे एक साधु का प्रवेश हुआ उन्होंने माँ काली की पिंड की स्थापना की बात कही थी | साथ ही कहा की ऐसा करने से बीमारी रुक जायेगा
गांव के बड़े -बुजुर्गो ने सलाह -मशवरा के बाद नीम के पेड़ के पीछे माँ काली के नौ -पिंड की स्थपना कर पूजा अर्चना की शुरुआत की गई ,चंद दिनों बाद ही साधु अदृश्य हो गया |साथ ही हैजा गांव से धीरे – धीरे समाप्त हो गया आज भी नीम का पेड़ उसी जगह उपस्थित है वही पर माँ काली का मंदिर स्थापित की गई है |

               लोगो के इस मंदिर के प्रति श्रद्धा दिन - प्रतिदिन वृद्धि हो रही है गांव मे एक ओर एक  दूसरी घटना अप्रैल 2004 की है जब मंदिर मे राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सो का आयोजन की गई थी दो लाख से अधिक लोगो का जमावड़ा था ,पेड़ के निचे लगभग 200  से अधिक लोग बैठे थे अचानक 25  फ़ीट ऊपर से पेड़ की एक डाल  टूट गई लेकिन किसी भी व्यक्ति को खरोच तक नहीं लगा | इस घटना से लोगो मे माँ के प्रति श्रद्धा और महिमा मे उत्तरोत्तर बृद्धि हो रही है |

कैसे पहुंचे बखोरापुर :- देश के सभी मार्गो से जुड़ा है जगदीशपुर ,पीरो , आरा , कोइलवर प्रमुख शहर और दूर दराज के गावो से सड़क मार्ग सेअच्छी तरह जुड़ा हुआ है |भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत बखोरापुर जो आरा रेलवे स्टेशन से लगभग 12 कम की दूरी पर है |यहाँ जाने के लिए शहर के सभी स्थान या गंगी पुल के पास वाहन आसानी से मिल जाता है |रेलमार्ग के द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है ,पटना से 56km की दूरी पर है पटना – दानापुर कोइलवर होते हुए आरा जंक्शन और दूसरी तरफ दीन दयाल ( मुगलसराय ) रेलप्रमण्डल की ओर से बक्सर होते हुए भी आरा जंक्शन पंहुचा जा सकता है |


कहाँ ठहरे :- यहाँ ठहरने के लिए उत्तम होटल या धर्मशाला की व्यवस्था है आरा शहर मे अनेक होटल या धर्मशाला मिल जाएंगे अब बखोरापुर मे भी मंदिर के बगल मे होटल और धर्मशाला मिल जायेगा जहाँ पर भक्त ठहर सकते है साथ ही खाने पीने की भी उत्तम व्यवस्था की गई है |


प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email :- prasad.bipin98@gmail.com

Tirupati of North India,Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar

शेखपुरा जिला मुख्यालय से महज ग्यारह किमी की दुरी पर बरबीघा-वारिसलीगंज सड़क पर यह स्थान अवस्थित है। यहां पर पांच जुलाई 1992 को तालाब की खुदाई में भगवान विष्णु की आदमकद पत्थर की विशाल प्रतिमा मिली थी |दुनिया में भगवान विष्णु की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति स्थानिक मुद्रा यानी खड़े हुए मुद्रा में भगवान विष्णु की पत्थर की प्रतिमा है .तिरुपति में स्थित मंदिर की विष्णु प्रतिमा इससे बड़ी बताई जाती है .भगवान विष्णु की इसी विशाल प्रतिमा की वजह से इस स्थान को उत्तर भारत का तिरुपति बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। यहां जेठान कार्तिक की एकादशी से पूर्णिमा तक चार दिनों का देवोत्थान मेला हर साल आयोजित होता है।

How to reach Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar

By Air :::: BarBigha by bus or taxi ahead of Gaya or Patna airport

By Train :::: Gaya or Lakhisarai Station from Sheikhpura station and forward Taxi from Barbegha

By Road :::: Gaya or Lakhisarai or Patna to Bihar Sharif & By taxi to Barbegha

MAHADEV SIMARIA ,JAMUI

महादेव सिमरया मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य जमुई -सिकंदरा मार्ग से एक सड़क जुडी है, जो की एकमात्र रास्ता है|

इस मंदिर के विषय में एक प्रमुख कथा है, की परसण्डा के राजा श्री पूरणमल सिंह महादेव के अनन्य भक्त थे और हमेशा बाबा महादेव के दरबार देवघर में जाते थे एक बार नदी में काफी पानी होने के कारण वो कई बार प्रयास करने के बाद भी देवघर पूजा करने नहीं जा सके तो काफी व्यथित हो गए इसी दरम्यान सीमारिआ गांव में एक धनेश्वर नाम का कुम्हार रहता था वह मिटटी लेने गया तो खुदाई के दौरान एक शिवलिंग के रूप का पत्थर मिला उसे उठा कर दूसरे स्थान पैर रख कर मिटटी की खुदाई कर चला गया अगले दिन जब वह पुनः मिटटी लेने गया थो पथर अपने पुराने स्थान पर मिला यह सिलसिला कई दिनों तक चला फिर इसकी खबर राजा पुराण मल को मिली फिर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी उसी स्वरूप में स्तिथ है |


आसपास के ग्रामीणों की आस्था का केंद्र बना मदिर आज भी सरकारी नज़रअंदाज़ी का दंश झेल रहा है पर स्थानीय लोगो के प्रयास से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है

Non-stop chants of Sita-Ram are being done from past 61 years in Baghi dham,Bihar

अपने बिहार की राजधानी पटना से 150 KM दूर सीतामढ़ी जिले में एक शिव मंदिर जिसे बगही धाम के नाम से जाना जाता है |
इस धाम में विगत 61 वर्षो से लगातार भगवान का कीर्तन चल रहा है सुनने में अविश्वनीय जरूर लग रहा है पर भी लोग इस धाम से वाकिफ है उन्हें ये पता है की 1954 से ही गुरु नारायण दास के द्वारा शुरू किया हुआ,अखंड संकीर्तन आज भी चल रहा है इसका संचालन स्थानीय ग्रामीणों और आश्रम में रहने वाले संतो के सम्मिलित प्रयास से निरंतर चल रहा है |और इसे दो-दो घंटे के पारी में बांटा गया है,हरेक दो घंटे के अंतराल में निर्धारित समूह योगदान दे कर इसे सुचारु रूप से चलाता है
|आज यह धाम सीतमढी सहित आस पास के पांच छह जिलों में जैसे दरभंगा,मधुबनी ,मोतिहारी शिवहर,मुज़फरपुर ,मोतिहारी और नेपाल के लोगो का आस्था का केंद्र है |बाबा ने जन सहयोग से उस स्थान पर एक 108 कमरों का चार मंजिला भवन बनवाया। यह एक गोल भवन की तरह है। जिसमें चार द्वार है |

बाबा नारायण दास का जन्म बगही गांव के एक साधारण परिवार में 17 फरवरी 1917 को हुआ था। बाबा का वास्तविक नाम छतर दास यादव था। जो बाद में तपस्वी नारायण दास के नाम से ख्यात हुए। सवा दो सौ साल पहले रंजीतपुर गांव के भूल्लर साह रौनियार ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में आकर बाबा नारायण दास तप करने लगे। तप के माध्यम से उन्होंने अलौकिक शक्ति प्राप्त की और निकल पड़े जन कल्याण की राह पर। उन्होंने राम नाम जाप के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। राम नाम का जाप करते हुए वृंदावन में बाबा ने 7 दिसंबर 2000 को अपने शरीर का त्याग किया।

Artkala YouTube channel is worlds 2nd largest DIY Channel running from Bihar by Bihari

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े DIY Creator (Do it Yourself Creator) YouTube Channel अपने बिहार से है क्या आप जानते है ?

बिहारियों ने सभी क्षेत्रो में अपना लोहा मनवाया है और सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी अपना जलवा दिखाया है बिहारियों ने यूट्यूब प्लेटफार्म पर अपना नाम आगे रखा है उनके वीडियोस बहुत पॉपुलर है और पूरी दुनिया में अपना और बिहार का नाम रोशन कर रहे है Artkala एक ऐसा ही यूट्यूब चैनल तीन बिहारियों के लग्नशीलता और अनोखी सोच का एक प्रतिफल है ।
बिहार के युवाओ के एक अनोखा प्रयास जिसमे घर के व्यर्थ के सामान का और कुछ मामूली फेविकोल जैसी चीजों का प्रयोग करके उसे दुबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जा सकता है और इस प्रयास को दुनिया भर के लोगो का प्यार मिला और Artkala के सब्स्क्रिबरो की लगातार बढ़ती हुई संख्या इसकी सफलता का प्रमाण है ।
पवन कुमार पटना-बिहार का एक 19 वर्षीय लड़का है, जिसने 25 सितंबर 2016 को अपनी दो बड़ी बहनों स्नेहा कुमारी और पूजा कुमारी के साथ अपना YouTube चैनल शुरू किया।उन्हें अपने परिवार से मदद मिला, जिन्होंने उन्हें वीडियो बनाने में खर्च करने के लिए कुछ आर्थिक मदद दे कर उनका उत्साहवर्धन किआ ।
हमें यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि अब Artkala बिहार से चलने वाला और बिहारियों द्वारा चलाया जाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा DIY चैनल है ।
हमें गौरवान्वित करने के लिए धन्यवाद ।
https://www.artkala.com/

Holy Saviour Church of Arrah,Bihar

बिहार में का बा ?

जॉर्ज पंचम होली सेवियर चर्च ,भोजपुर (आरा )

आरा ,बिहार के वीर कुंवर सिंह मैदान के पश्चिमी -दक्षिणी हिस्सा और सदर अनुमंडलाधिकारी के आवास के बीच. मे अवस्थित ,एक प्राचीन चर्च ,ऐतिहासिक दृटिकोण से यह बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर है| यह पूरी तरह से इंग्लिश शैली मे निर्मित भवन है | देश मे इस शैली के चर्च गिना चुना ही है इसकी बनावट और मजबूती के कारण शहर के साथ -साथ पुरे बिहार का आकर्षण का केंद्र है |
ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि के अनुसार कभी जर्ज पंचम को प्रार्थना के लिए इसका निर्माण करवाया गया था | सन 1911 मे भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनी इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम को कोलकाता से दिल्ली जाने के क्रम मे आरा मे एक रविवार पड़ता था , इसी रविवार के मद्देनज़र बहुत ही धार्मिक प्रवृति के जॉज पंचम को प्रार्थना के लिए इस चर्च का निर्माण करवाया गया था | प्रार्थना के दिन आरा रेलवे स्टेशन से चर्च तक के रोड को रेड कारपेट बिछाया गया था | जॉर्ज पंचम के बाद इस चर्च को फौजी यहाँ प्रार्थना करते थे | आज़ादी के पूर्व इसमें एक लाइब्रेरी थी जिसमे अधिकांश धार्मिक पुस्तकों के आलावा अन्य पुस्तके थी | आज़ादी के बाद अंग्रेज फौजियों के यहाँ से जाने के बाद चर्च ऑफ़ नार्थ इंडियन , भागलपुर के इस चर्च को मेथोडिस्ट चर्च को सौप दिया |चर्च मे पुलपिट (प्रार्थना वेदी ) के पीछे के हिस्से मे बहुत ही आकर्षक रंगीन शीशे लगे थे जिस पर जीजस की तस्वीर बनी थी |इस शीशे से जब सूर्ये की रौशनी चर्च मे आती थी तो बहुत सूंदर लगता था ,साथ ही पादरी के लिए बहुत ही सूंदर कुर्सी भी थी | लेकिन समय के साथ – साथ और सरकार की अनभिज्ञता
के कारण आज यह चर्च जर -जर अवस्था मे पहुंच गई है | अधिकांश वस्तुए चर्च की चोरी हो गई है ,या क्षतिग्रस्त हो चुकी है इसे बिहार सरकार के द्वारा पर्यटन और ऐतहासिक धरोहर और शहरी सौंदर्यकरण के लिए इसे बिकसित किया का सकता है |
ऐसा उम्मीद की जा सकती है बिहार सरकार के द्वारा इसे आमूल धरोहर को बचाया जायेगा और पर्यटन के क्षैत्र मे इसे बिकसित किया जायेगा|

Story By :Bipin Bihari Prasad(Email: prasad.bipin98@gmail.com)

New VHP President:Dr R N Singh

बिहार के विश्व विख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ हाथो में विहिप (VHP) की कमान :रबिन्द्र नारायण सिंह

पेशे से विश्व विख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ रबिन्द्र नारायण सिंह जो मूलतः बिहार के सहरसा के निवासी है |
विदेश से एक सफल एवं उज्जवल भविष्य को त्याग कर अपने पिता के इच्छा का मान रखते हुए बिहार लौट आये,
अपने पेशे के साथ पूरी ईमानदारी निभाते हुए कभी अपनी सामाजिक दायित्वों को निभाने में पीछे नहीं हटे |
वर्ष 2010 में स्वस्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि के कारण राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के द्वारा पद्म भूषण अवार्ड से सम्मनित किये गए|
इतनी उपलब्धिया होने के बावजूद आज भी अपने गांव गोलमा ,सहरसा से दिल से जुड़े हुए है इसका गवाह वहाँ करोड़ो खर्च कर अपने स्वजन ग्रामीणों के लिए 100 बेड का अस्पताल है जहां आज भी खुद सेवा देने पहुंचते है|
डॉ सिंह के जज्बे को सलाम |
जहां इस भौतिकवादी दुनिया को अपने लिए समय नहीं है वही हमारे बीच श्री सिंह जैसे लोग एक उम्मीद की किरण है|

डॉ. आरएन सिंह पूर्व विहिप अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश विष्णु सदाशिव कोकजे का स्थान लेंगे. उन्होंने अध्यक्ष पद स्वीकार करने के बाद कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और इसमें बहुत काम करना है |

धन्यवाद् सर हम बिहारियों का मान बढ़ाने के लिए |

JAI BIHAR,JIYO BIHARI

BIHARI Girl in the Headlines again:WBCS TOPPER

बिहार की बेटी ने बिहार का मान बढ़ाया,बनी WBCS (WEST BENGAL CIVIL SERVICE) TOPPER

WBCSTOPPER

आकांक्षा सिंह मूलतः बिहार के बक्सर जिले के ब्र्हम्पुर ब्लाक बलुआ गांव निवासी है | संभवतः ये पहला मौका जब किसी किसी हिन्दीभाषी ने बंगाल में प्रशासनिक सेवा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है आकांक्षा की इस उपलब्धि से पूरा बिहार गौरान्वित है WBCS 2019 में कुल ७०(70) अभयर्थी सफल हुए जिनमे आकांक्षा सिंह ने प्रथम स्थान प्राप्त हुआ इनका चयन राजस्व सेवा में हुआ है | इनके मन में सिविल सेवा में जाने कीइच्छा बचपन से थी इंजीनियरिंग (IEM ,KOLKATA )करने के बाद कई सॉफ्टवेयर कम्पनियो में चयनित होने के बावजूद भी इन्होने इन्हे ठुकराकर अपने सपनो के लिए लगातार प्रयास करती रही | और दूसरे प्रयास में शानदार सफलता प्राप्त की |

वर्तमान में आकांक्षा सिंह स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के कल्याणी शाखा में प्रोबासनरी अफसर के रूप में कार्यरत है इनकी शिक्षा हावड़ा में ही हुई | है और इनका परिवार पूरी तरह से वहां बसा हुआ है जिसके कारण इन्हे बांग्ला भाषा का लिखना पढ़ना आता है
जिसका फायदा इनको प्राप्त हुआ |


सभी बिहारियों को गौरवांतित करने के लिए धन्यवाद |

Kshtriyakund Jain Temple,Jamui,Bihar

क्षत्रियकुंड,जमुई,बिहार में जैन समुदाय का प्रमुख तीर्थस्थल है इसका इत्तिहास लगभग २६०० साल पुराना है यहां की मान्यता मुख्या रूप सेभगवान महावीर के जन्म से संबधित है इसलिए इस जगह का नाम यहां स्थानीय लोगो के बीच जन्मस्थली के रूप में किया जाता है।क्षत्रियकुंड जाने के रस्ते में लछुआर गांव में एक जैन तीर्थयात्रियों के लिए निर्मित 65 कमरों का एक बड़ा और पुराना विश्राम गृह (धर्मशाला) है। धर्मशाला के अंदर भगवान महावीर का मंदिर है। इस मंदिर की मूर्ति 2,600 साल से भी ज्यादा पुरानी है। काले पत्थर की इस मूर्ति का वजन लगभग 250 किलोग्राम है। यह भगवान महावीर की जन्मभूमि क्षत्रिय कुंड ग्राम के रास्ते में स्थित है। यह स्थान सिकंदरा ब्लॉक में स्थित है जो लगभग जमुई जिला मुख्यालय से पश्चिम.20 किमी. है जंगल के बीच में यह स्थल आज भी एक अनोखे सुकून को संजो कर रखा है आज भी इस पवित्र तीर्थ का एक स्पर्श रोमांचित करता है। इस तीर्थ के संदर्भ में जो प्रचलित मान्यता निम्न प्रकार से है

क्षत्रियकुंड तीर्थ अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर के समय से पहले के काल का है। यह भगवान महावीर के पिता राजा सिद्धार्थ की राजधानी थी,राजा सिद्धार्थ की पत्नी त्रिशला राजा चेतक की बेटी थी। भगवान उनसे उत्पन्न हुए थे। जब भगवान अपने गर्भ में थे, तब त्रिशलामाता ने चौदह महान स्वप्न देखे। धन और मक्का में वृद्धि हुई। राज्य में सर्वत्र सुख-शान्ति बढ़ती गई। इसलिए उनके जन्म के बारहवें दिन भगवान को’वर्धमान’ नाम दिया गया। भगवान का विवाह राजा समरवीर की पुत्री यशोदादेवी से हुआ था। भगवान को सांसारिक सुखों से कोई लगाव नहीं था। उन्होंने अपने बड़े भाई नंदीवर्धन की अनुमति से विक्रम संवत के वर्ष ५१३ में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दीक्षा ली। भगवान तब ३० वर्ष के थे। इस प्रकार भगवान ने अपने जीवन के ३० वर्ष इस पवित्र भूमि पर गुजारे। यहां भगवान के तीन कल्याणक हुए।इसलिए इस भूमि का प्रत्येक कण पवित्र है और इस तीर्थ का बहुतमहत्व है। यहां का शांत और शांत वातावरण आज भी भगवान कीभक्ति की धारा को स्थापित करता है, मानव हृदय में प्रवाहित होकर सांसारिक मामलों को भूलकर मनुष्य, भगवान की पूजा में तल्लीन होजाता है। आज भी इस पवित्र तीर्थ का स्पर्श मनुष्य को रोमांचित कर देता है।

निकटतम रेलवे स्टेशन:
जमुई रेलमार्ग भारत के कई प्रमुख शहरों से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर स्थित जमुई स्टेशन झाझा और क्वाल स्टेशन के बीच स्थित है। जमुई पहुंचने के लिए रेल मार्ग से प्रतिदिन दो दर्जन से अधिक ट्रेनें उपलब्ध हैं। 
निकटतम हवाई अड्डा :
पटना में जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जमुई पटना से 161 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा गया,यहां एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। जमुई गया से 136 किलोमीटर दूर स्थित है।
सड़क मार्ग
जमुई तक भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
बिहार कई धर्मो की उदगम स्थली है और जैसा की हम जानते है की 
 जैन धर्म का उदगम बिहार से ही हुआ है आज भी केंद्र और राज्य 
 सरकारों का ध्यान इन ऐतिहासिक स्थलों पर जितना ध्यान देना चाहिए नहीं 
 दिया जा रहा है अगर इनका विकास सही तरीके से किया जाये तो 
 बिहार की तरक्की में पर्यटन का भी विशेष सहयोग रहेगा । 
 आज भी स्थानीय नागरिको को सही से प्रशिक्षण दे कर आने वाले 
 पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी की जा सकती है जो की इस 
 इलाके के खुशहाल करने का सही मार्ग होगा ।

जय जिनेन्द्रा | जय बिहार| जय हिन्द |