List of Districts of Bihar

Bihar is a state in eastern India. It is the third-largest state by population and twelfth-largest by territory, with an area of 94,163 km2 (36,357 sq mi). Bihar borders Uttar Pradesh to its west, Nepal to the north, the northern part of West Bengal to the east, and with Jharkhand to the south. The Bihar plain is split by the river Ganges, which flows from west to east.Bihar is also the world’s fourth-most populous subnational entity.

Araria
Arwal
Aurangabad
Banka
Begusarai
Bhagalpur
Bhojpur
Buxar
Darbhanga
East Champaran (Motihari)
Gaya
Gopalganj

Jamui
Jehanabad
Kaimur (Bhabua)
Katihar
Khagaria
Kishanganj
Lakhisarai
Madhepura
Madhubani
Munger (Monghyr)
Muzaffarpur
Nalanda
Nawada
Patna
Purnia (Purnea)
Rohtas

Saharsa
Samastipur
Saran
Sheikhpura
Sheohar
Sitamarhi
Siwan
Supaul
Vaishali
West Champaran

बिहार की बोलियां/भाषाएँ

बिहारियों से अक्सर राज्य के बाहर पूछा जाता है: “क्या आप बिहारी बोलते हैं?”, एक ऐसा सवाल जो उन्हें अजीब लग सकता है। आम धारणा के विपरीत, ‘बिहारी’ जैसी कोई भाषा नहीं है और बिहार के सभी लोग भोजपुरी नहींबोलते हैं। जबकि हिंदुस्तानी-हिंदी और उर्दू का बोलचाल का मिश्रण- पूरे बिहार में बोली जाती है, विभिन्न क्षेत्रों की अलग-अलग बोलियाँ हैं। पाँच प्रमुख बोलियाँ हैं- भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और वज्जिका । इन बोलियों के अधिकांश बोलनेवाले, हिंदी को आसानी से समझ सकते हैं।


1.मैथिली:

मैथिली मुख्य रूप से बिहार के मिथिला क्षेत्र-दरभंगा, सहरसा, मधुबनी, सीतामढ़ी, मधेपुरा और सुपौल में बोली जाती है।कविशेखराचार्य का वर्ण रत्नाकर, जो 14वीं शताब्दी का है, मैथिली में सबसे पहला लिखित पाठ है।
2.भोजपुरी:
भोजपुरी मुख्य रूप से भोजपुर, बक्सर, सारण, चंपारण, कैमूर और रोहतास जिलों में बोली जाती है। यह पूर्वी उत्तरप्रदेश की मुख्य बोली भी है। औपनिवेशिक युग के दौरान, बिहार के किसान गुयाना, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो,सूरीनाम और फिजी में गन्ने के बागानों में गिरमिटिया मजदूर के रूप में काम करने के लिए चले गए जिसके कारण,इनमें से कुछ देशों में भोजपुरी आज भी बोली जाती है ।
4.बज्जिका:
बज्जिका बड़े पैमाने पर बिहार के बज्जिकांचल क्षेत्र-वैशाली, मुजफ्फरपुर, शिवहर, समस्तीपुर और सीतामढ़ी और चंपारण के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। पड़ोसी देश नेपाल में भी लोग बज्जिका भाषा बोलते हैं। बज्जिका को पहले वैशाली की बोली के नाम से जाना जाता था।
4.अंगिका:
अंगिका मुख्य रूप से अंग क्षेत्र (दक्षिण-पूर्वी बिहार) में बोली जाती है जिसमें मुंगेर, कटिहार, भागलपुर, जमुई और बांका जिले शामिल हैं।प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन के अनुसार, सबसे पुराना लिखित हिंदी साहित्य अंगिका में बौद्ध तांत्रिक सिद्धाचार्य और कवि सरहा के छंद हैं जो लगभग 800 ईस्वी पूर्व के हैं।
5.मगधी:
(मगही के रूप में भी जाना जाता है) मुख्यतः पटना, नालंदा, गया, नवादा, जहानाबाद और औरंगाबाद जिलों में बोली जाती है।

Son of Bihar topped in UPSC 2020

यूपीएससी(UPSC) में बिहार के लाल ने एक बार फिर कमाल किया है. बिहार के कटिहार जिले के शुभम कुमार(Shubham Kumar) ने UPSC परीक्षा में टॉप किया

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शुक्रवार को सिविल सेवा परीक्षा-2020 का परिणाम घोषित कर दिया है। इसबार यूपीएससी परीक्षा में 761 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। बिहार के कटिहार निवासी शुभम कुमार (Roll No. 1519294) ने देशभर में टॉप किया है। वहीं बिहार के जमुई जिले चकाई बाजार निवासी सीताराम वर्णवाल के पुत्र प्रवीण कुमार ने सातवां स्थान हासिल किया है। यूपीएसससी सीएसई 2020 फाइनल रिजल्ट में कुल 25 अभ्यर्थियों ने टॉप किया है,इनकी सफलता ने एक बार फिर से बिहार का गौरव बढ़ाया है. शुभम और प्रवीण कुमार लाखों युवाओं की प्रेरणा हैं.इससे पहले 1987 में आमिर सुबहानी, 1996 में सुनील वर्णवाल तथा 2001 में अलोक रंजन झा यूपीएससी में टाप करने वाले बिहार के अभ्यर्थी थे।

धन्यवाद् दिल की गहराई से,
हम बिहारियों को गर्वित महसूस कराने के लिए !

A Bihari who won of all highest Indian civilion awards :Shehnai Maestro

एक बिहारी जिसने सभी सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार जीते: शहनाई उस्ताद

बिस्मिल्लाह खान, मूल नाम कमरुद्दीन खान, का जन्म 21 मार्च, 1916, डुमरांव, बिहार,भारत में हुआ था।विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च, 1916 को डुमरांव,बिहार में हुआ था। उनके पिता बिहार के डुमरांव एस्टेट के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में एक दरबारी संगीतकार थे।बचपन में बिस्मिल्लाह खान नियमित रूप से अपने गांव के पास के बिहारीजी के मंदिर में भोजपुरी ‘चैता’ गाने के लिए जाते थे जहाँ डुमराव महाराज के हाथो से पुरस्कार में 1.25 किलो वजन का एक बड़ा लड्डू जितने वाला छोटा लड़का इसी संगीत के कारण भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार अर्जित करेगा इसका अंदाजा किसीको नहीं था।शहनाई को शास्त्रीय मंच पर लाने के लिए पूरा श्रेय इन्ही को जाता है क्योकि इससे पहले शहनाई को सिर्फ कुछ आयोजनों विवाह समारोहों तक ही सीमित था ।


युवा लड़के ने जीवन की शुरुआत में ही संगीत को अपना लिया। जब वो अपनी माँ के साथ अपने ननिहाल बनारस गए , और अपने मामाओं को संगीत का अभ्यास करते हुए देखकर मोहित हो गए ,और फिर संगीत की साधना में लग गए। अपने मामा के साथ नित्य दिन विष्णु मंदिर जाना शुरू किया जहाँ उनके मामा शहनाई बजाने जाते और धैर्य से मामा को सुनते और संगीत की बारीकियों को सीखने लगे । जिसका प्रतिफल स्वरूप बिस्मिलाह खा अब शहनाई उस्ताद के नाम से देश विदेशो तक जाने जानने लगे ।
जब 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली,इस विशेष दिन को यादगार बनाने के अपने बिहार के लाल बिस्मिल्लाह खाँ पहले भारतीय संगीतकार जिनको लाल किले पर आमंत्रण मिला और इन्होने अपनी शहनाई के सुरो की बरसात से दर्शको का दिल जीत लिया।

First cardilologist of India was a Bihari

Bihar ने दिया था India को पहला Cardiologist

डॉ श्रीनिवास का जन्म 1919 में बिहार के समस्तीपुर जिले के बिरसिंहपुर गाँव में एक जमींदार परिवार में हुआ था।उन्होंने समस्तीपुर जिले के किंग एडवर्ड हाई स्कूल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में 1936 में पटना साइंस कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से एमबीबीएस कोर्स किया, जिसे अब पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) कहा जाता है।डॉ. एस श्रीनिवास भारत से 1947 में कॉर्डियोलॉजिस्ट की ट्रेनिंग के लिए अमरीका गए थे. उन्हें मॉर्डन कॉर्डियोलॉजी के पिता पॉल डी व्हाइट से मिली ट्रेनिंग और वो उनसे ट्रेनिंग पाने वाले इकलौते भारतीय डॉक्टर हैं. ट्रेनिंग के बाद साल 1950 में वो भारत लौटे और पटना मेडिकल कॉलेज में हृदय रोगियों के लिए विभाग बनाया. वो इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ़ कॉर्डियोलॉजी के संस्थापक निदेशक रहे और उनके सम्मान में साल 2017 में भारत सरकार के डाक विभाग ने पोस्टल इनवेलेप जारी किया।

  • डॉ श्रीनिवास पहली बार भारत में आधुनिक ईसीजी मशीन लेकर आए थे।
  • डॉ श्रीनिवास साल 1958 में ईसीजी सिद्धांत दिया ,जिसमे उन्होंने बताया की दो इंसानों के ईसीजी एकसमान नहीं होते, तो इसका प्रयोग इंसानी पहचान के लिए किया जा सकता है।
  • डॉ श्रीनिवास साल 1960 में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का विचार भी दिया और एलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी,आयुर्वेद और नेचुरापैथी को मिलाकर 1977 में पॉलीपैथी (POLYPATHY)की शुरुआत की और इन्हे पॉलीपैथी के जनक के रूप में जाने जाते है।

8 नवंबर, 2010 में निधन होने तक पटना के व्यस्ततम डॉक्टर बने रहे. श्रीनिवास के बेटे तांडव आइंस्टीन समदर्शी और पोते सत्य सनातन श्रीनिवास विरासत बढ़ा रहे हैं।

Happy Vishwakarma Puja

भगवान विश्वकर्मा,हर काल में सृजन के देवता रहे हैं व सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है।

GOGABEEL, AN OX-BOW LAKE IS BIHAR’S FIRST COMMUNITY RESERVE

बिहार में का बा ?

कटिहार के मनिहारी ब्लाक में गोगाबिल झील है। करीब 217 एकड़ में फैली यह झील एक ओर गंगा तो दूसरी ओर महानंदा से घिरी है। साल में चार से छह महीने तक खेतों में पानी भरा रहने के कारण ग्रामीण एक ही फसल ले पाते हैं। अब इस जलभराव और यहां की हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है। ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए दी है।
हाल ही में गोगाबील को बिहार का पहला सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया गया है जो बिहार का 15वाँ संरक्षित क्षेत्र (Protected एरिया) भी है।बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क द्वारा गोगाबील को वर्ष 1990 में एक बंद क्षेत्र (Closed Area) के रूप में अधिसूचित किया गया था। 
इस बंद क्षेत्र (Closed Area) की स्थिति को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत संरक्षित क्षेत्र में बदल दिया गया। 
इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क द्वारा वर्ष 2004 में गोगाबील को बाघार बील और बलदिया चौर सहित भारत का महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया था।
गोगाबील एक स्थायी जल निकाय है, हालाँकि यह गर्मियों में कुछ हद तक सिकुड़ती है लेकिन कभी पूरी तरह से सूखती नहीं है।
इस स्थल पर 90 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से लगभग 30 प्रवासी हैं। इस स्थल पर ब्लैक इबिस, एश्ली स्वॉल श्रीके, जंगल बब्बलर, बैंक मैना, रेड मुनिया, उत्तरी लापविंग और स्पॉटबिल डक जैसी अन्य प्रजातियांँ मिलती हैं।
IUCN द्वारा लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क (Lesser Adjutant Stork) को सुभेद्य (Vulnerable) घोषित किया गया है, वहीं ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, व्हाइट इबिस और व्हाइट-आईड पोचर्ड को संकटापन्न (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया लम्बे समय तक जलमग्न रहने वाले इस क्षेत्र को हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है. ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए राज्य सरकार को दे दी है. यहां करीब 73.78 एकड़ सरकारी जमीन पर कंजर्वेशन रिजर्व बनाया गया है. जबकि ग्रामीणों की 143 एकड़ भूमि पर गोगाबिल सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया है |
कटिहार के मनिहारी ब्लाक में ग्रामीणों ने अनूठी पहल की है। यहां के मौजा जंगला टाल इंग्लिश के निवासियों ने अपनी 143 एकड़ बिहार का पहला सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य बनाने की पहल की है। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की है। अब इस रैयती भूमि पर ईको टूरिज्म विकसित होगा। इलाके की तस्वीर बदलेगी। देश-दुनिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का यहां बसेरा होगा।सरकार-ग्रामीण मिलकर बना रहे आचार संहिता इस इलाके में क्या होगा और क्या नहीं यह विभाग और गांव वाले मिलकर तय कर रहे हैं। अब वहां शिकार नहीं होगा। जंगल के पेड़-पौधे भी नहीं काटे जाएंगे। वहां बोर्ड लगेंगे। बोर्ड पर वहां के नक्शे के साथ लिखा जाएगा कि क्या-क्या प्रतिबंधित है। इलाके की हदबंदी की जाएगी।

बिहार में ई बा !

प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email prasad.bipin98@gmail.com

Areraj ka Someshwar mandir

मोतिहारी का अरेराज का शिवमंदिर सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर


ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि :-


शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसे चंद्र देव ने खुद स्थापित किया था. पूर्वी चंपारण के अरेराज में बने ऐतिहासिक सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर की जिसकी ऐतिहासिकता को किसी प्रमाणिकता की जरुरत नहीं है | स्कन्द पुराण में चन्द्रमा द्वारा स्थापित इस पंचमुखी स्कन्द महादेव मंदिर का जिक्र है.पंचमुखी महादेव मंदिर पूरे भारत में केवल अरेराज में ही है.जहां अभी भी पौराणिक संस्कृति को श्रद्धालु आस्था और पूजा के माध्यम से जीवित रखे हुए हैं. लगभग विलुप्त हो चुके पामरिया नृत्य के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने की परम्परा आज भी अरेराज मे जीवित है, पर अभी भी पर्यटक स्थल की सूची से बाहर है |


एक दूसरी कहानी के अनुसार चन्द्रमा द्वारा स्थापित इस ऐतिहासिक मंदिर की चर्चा स्कन्द पुराण में भी मिलती है.जब अहिल्या प्रकरण में चन्द्रमा शापित हुए थे,तब अगस्त मुनि ने शाप से मुक्ति के लिए चंद्रमा को गण्डकी नदी के तट पर स्थित अरण्यराज में गह्वर में शिवलिंग की स्थापना करने की सलाह दी थी,जिसके स्थापना और पूजा के बाद चंद्रमा शाप से मुक्त हुए थे.
दरअसल,चंद्रमा का पर्यावाची शब्द सोम होता है.इसीलिए इन्हें सोमेश्वर नाथ मनोकामना महादेव कहा जाता है.यहां सच्चे मन से मांगने वाले लोगों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है. इस -लिए इसे मनोकामना नाथ भी कहा जाता है|
युधिष्ठिर राजपाट खोने पर इसी मंदिर पूरे श्रावण मास जलाभिषेक किया था.उसके बाद राजपाट वापस हुआ था. वही जनकपुर से अयोध्या जाने के क्रम में माता जानकी द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की थी.उसके बाद से पुत्र प्राप्ति के लिए विख्यात है.
अरेराज महादेव मंदिर में अभी भी भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखा गया है.जहां लगभग विलुप्त हो चुकी पामरिया नृत्य की परम्परा है.केसरिया प्रखंड के खजुरिया के लोक नर्तक यहां आते हैं और अपने नृत्य से भगवान को प्रसन्न करते हैं.साथ ही जिस महिला श्रद्धालु की मन्नत पूरा हो जाती है.उस महिला श्रद्धालु के आंचल पर पामरिया नृत्य कर भगवान को खुश करते हैं.पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव गीत और संगीत के आदि देव है.इसी लिए पौराणिक पमारिया नृत्य के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने की परम्परा सिर्फ यही पर देखने को मिलती है|

How to reach कैसे पहुंचे :-

अरेराज का ऐतिहासिक सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर उत्तर बिहार का सबसे प्राचीनतम एवं प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो मोतिहारी से 28 किलोमीटर पर दक्षिण में गंडक नदी के किनारे स्थित है। सावन माह में तथा अन्य पर्वो के अवसर पर लाखो श्रद्धालु भक्तजन देश तथा समीपवर्ती नेपाल से यहां लोग आते है। श्रावण में यहां मेला भी लगता है। पर्यटकों का यह प्रिय स्थल बन चुका है। मोतिहारी से 28 किलोमीटर की लिंक पूछा रोड राज्य के सभी प्रमुख सड़क से जुड़ा हुआ है |पटना से साहेबगंज होते हुए केसरिया के रास्ते अरेराज तक बनानेवाली बुद्धा सर्किट को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दे दिया गया है | आने वाले तीन साल मे इसे कार्य को पूरा का लिया जायेगा |

Railway
ट्रैन के द्वारा बापूधाम मोतिहारी देश के सभी प्रमुख स्थानों औऱ शहरो से जुड़ा हुआ है |

Airway
हवाई यात्रा के द्वारा भी जय प्रकाश नारायण हवाई अड्ड़ा ,पटना से मोतिहारी सड़क मार्ग से बस के द्वारा पहुँचा जा सकता है |

प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email prasad.bipin98@gmail.com

Indian currency signed by a Bihari : LAXMI KANT JHA

 "देश की आर्थिक नीतियों के निर्माता,विश्वविख्यात प्रशासक,राजनयिक, अर्थशास्त्री और अंतिम समय तक अपने काम के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहे।"

श्री लक्ष्मी कांत झा (LAXMI KANT JHA), का जन्म 22 November 1913,अपने बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था | ।इन्होने अपनी शिक्षा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) ,ट्रिनिटी कॉलेज , कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ,और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ,U.K . प्राप्त की |श्री झा भारतीय सिविल सेवा के 1936 बैच के सदस्य थे | ब्रिटिश शासन के दौरान आपूर्ति विभाग में उप सचिव बने और 1946 के नए साल के सम्मान में उनकी सेवा के लिए एमबीई (Member of the Most Excellent Order of the British Empire)नियुक्त किया गया।

स्वतंत्रता के बाद उन्होंने उद्योग, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों में सचिव और भारत के प्रधान मंत्री, लाल बहादुर शास्त्री (1964-66) के सचिव के रूप में कार्य किया था।और इंदिरा गांधी ने (1966-67) इन्हे आरबीआई के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया ।
उनके कार्यकाल के दौरान 2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गांधी की जन्मशती के उपलक्ष्य में भारतीय रुपये के प्रतीक 2, 5, 10, और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय रुपये के नोट जारी किए गए, इन नोटों पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उनके हस्ताक्षर हैं। भारत सरकार की आधिकारिक भाषा, हिंदी में हस्ताक्षर, भारतीय रिजर्व बैंक के उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार करेंसी नोटों पर दिखाई दिए।ये हस्ताक्षर एक बिहारी के है ये सोच कर ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है

इन्ही के कार्यकाल में 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण, वाणिज्यिक बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण की शुरुआत, राष्ट्रीय ऋण परिषद की स्थापना और ऋण वितरण की सुविधा के लिए अग्रणी बैंक योजना की शुरुआत हुई।उन्होंने 1970-73 की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया जब भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा और बांग्लादेश को मुक्त कराया। हाइन्ज़ अल्फ्रेड किसिंजर(एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ, राजनयिक और भू-राजनीतिक सलाहकार हैं, जिन्होंने रिचर्ड निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के राष्ट्रपति प्रशासन के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य किया।) ने व्हाइट हाउस के वर्षों में उनकी प्रेरक राजनयिक कौशल स्वीकार किया है।
श्री लक्ष्मी कांत झा, 3 जुलाई 1973 से 22 फरवरी 1981 तक जम्मू और कश्मीर राज्य के राज्यपाल थे। एक निष्पक्ष राज्य प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका को आज भी जम्मू-कश्मीर में स्नेह और सम्मान के साथ याद किया जाता है।
वह 1980 के दशक के दौरान उत्तर-दक्षिण आर्थिक मुद्दों पर ब्रांट आयोग(Independent Commission on International Development Issues) के सदस्य थे ।
वह भारत सरकार के आर्थिक प्रशासन सुधार आयोग के अध्यक्ष 1981-88 तक थे। । उन्होंने पीएम के आर्थिक मामलों के सलाहकार के रूप में भी काम किया। इंदिरा गांधी और बाद में राजीव गांधी। अपनी मृत्यु के समय झा राज्यसभा के सदस्य थे।
श्री झा ने Mr. Red Tape and Economic Strategy for the 80s: Priorities for the Seventh Plan सहित कई किताबें लिखीं।


धन्यवाद् दिल की गहराई से,
हम बिहारियों को गर्वित महसूस कराने के लिए !