A Bihari who won of all highest Indian civilion awards :Shehnai Maestro

एक बिहारी जिसने सभी सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार जीते: शहनाई उस्ताद

बिस्मिल्लाह खान, मूल नाम कमरुद्दीन खान, का जन्म 21 मार्च, 1916, डुमरांव, बिहार,भारत में हुआ था।विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च, 1916 को डुमरांव,बिहार में हुआ था। उनके पिता बिहार के डुमरांव एस्टेट के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में एक दरबारी संगीतकार थे।बचपन में बिस्मिल्लाह खान नियमित रूप से अपने गांव के पास के बिहारीजी के मंदिर में भोजपुरी ‘चैता’ गाने के लिए जाते थे जहाँ डुमराव महाराज के हाथो से पुरस्कार में 1.25 किलो वजन का एक बड़ा लड्डू जितने वाला छोटा लड़का इसी संगीत के कारण भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार अर्जित करेगा इसका अंदाजा किसीको नहीं था।शहनाई को शास्त्रीय मंच पर लाने के लिए पूरा श्रेय इन्ही को जाता है क्योकि इससे पहले शहनाई को सिर्फ कुछ आयोजनों विवाह समारोहों तक ही सीमित था ।


युवा लड़के ने जीवन की शुरुआत में ही संगीत को अपना लिया। जब वो अपनी माँ के साथ अपने ननिहाल बनारस गए , और अपने मामाओं को संगीत का अभ्यास करते हुए देखकर मोहित हो गए ,और फिर संगीत की साधना में लग गए। अपने मामा के साथ नित्य दिन विष्णु मंदिर जाना शुरू किया जहाँ उनके मामा शहनाई बजाने जाते और धैर्य से मामा को सुनते और संगीत की बारीकियों को सीखने लगे । जिसका प्रतिफल स्वरूप बिस्मिलाह खा अब शहनाई उस्ताद के नाम से देश विदेशो तक जाने जानने लगे ।
जब 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली,इस विशेष दिन को यादगार बनाने के अपने बिहार के लाल बिस्मिल्लाह खाँ पहले भारतीय संगीतकार जिनको लाल किले पर आमंत्रण मिला और इन्होने अपनी शहनाई के सुरो की बरसात से दर्शको का दिल जीत लिया।

First cardilologist of India was a Bihari

Bihar ने दिया था India को पहला Cardiologist

डॉ श्रीनिवास का जन्म 1919 में बिहार के समस्तीपुर जिले के बिरसिंहपुर गाँव में एक जमींदार परिवार में हुआ था।उन्होंने समस्तीपुर जिले के किंग एडवर्ड हाई स्कूल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में 1936 में पटना साइंस कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से एमबीबीएस कोर्स किया, जिसे अब पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) कहा जाता है।डॉ. एस श्रीनिवास भारत से 1947 में कॉर्डियोलॉजिस्ट की ट्रेनिंग के लिए अमरीका गए थे. उन्हें मॉर्डन कॉर्डियोलॉजी के पिता पॉल डी व्हाइट से मिली ट्रेनिंग और वो उनसे ट्रेनिंग पाने वाले इकलौते भारतीय डॉक्टर हैं. ट्रेनिंग के बाद साल 1950 में वो भारत लौटे और पटना मेडिकल कॉलेज में हृदय रोगियों के लिए विभाग बनाया. वो इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ़ कॉर्डियोलॉजी के संस्थापक निदेशक रहे और उनके सम्मान में साल 2017 में भारत सरकार के डाक विभाग ने पोस्टल इनवेलेप जारी किया।

  • डॉ श्रीनिवास पहली बार भारत में आधुनिक ईसीजी मशीन लेकर आए थे।
  • डॉ श्रीनिवास साल 1958 में ईसीजी सिद्धांत दिया ,जिसमे उन्होंने बताया की दो इंसानों के ईसीजी एकसमान नहीं होते, तो इसका प्रयोग इंसानी पहचान के लिए किया जा सकता है।
  • डॉ श्रीनिवास साल 1960 में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का विचार भी दिया और एलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी,आयुर्वेद और नेचुरापैथी को मिलाकर 1977 में पॉलीपैथी (POLYPATHY)की शुरुआत की और इन्हे पॉलीपैथी के जनक के रूप में जाने जाते है।

8 नवंबर, 2010 में निधन होने तक पटना के व्यस्ततम डॉक्टर बने रहे. श्रीनिवास के बेटे तांडव आइंस्टीन समदर्शी और पोते सत्य सनातन श्रीनिवास विरासत बढ़ा रहे हैं।

Happy Vishwakarma Puja

भगवान विश्वकर्मा,हर काल में सृजन के देवता रहे हैं व सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है।

GOGABEEL, AN OX-BOW LAKE IS BIHAR’S FIRST COMMUNITY RESERVE

बिहार में का बा ?

कटिहार के मनिहारी ब्लाक में गोगाबिल झील है। करीब 217 एकड़ में फैली यह झील एक ओर गंगा तो दूसरी ओर महानंदा से घिरी है। साल में चार से छह महीने तक खेतों में पानी भरा रहने के कारण ग्रामीण एक ही फसल ले पाते हैं। अब इस जलभराव और यहां की हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है। ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए दी है।
हाल ही में गोगाबील को बिहार का पहला सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया गया है जो बिहार का 15वाँ संरक्षित क्षेत्र (Protected एरिया) भी है।बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क द्वारा गोगाबील को वर्ष 1990 में एक बंद क्षेत्र (Closed Area) के रूप में अधिसूचित किया गया था। 
इस बंद क्षेत्र (Closed Area) की स्थिति को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत संरक्षित क्षेत्र में बदल दिया गया। 
इंडियन बर्ड कंज़र्वेशन नेटवर्क द्वारा वर्ष 2004 में गोगाबील को बाघार बील और बलदिया चौर सहित भारत का महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र घोषित किया गया था।
गोगाबील एक स्थायी जल निकाय है, हालाँकि यह गर्मियों में कुछ हद तक सिकुड़ती है लेकिन कभी पूरी तरह से सूखती नहीं है।
इस स्थल पर 90 से अधिक पक्षी प्रजातियों को दर्ज किया गया है, जिनमें से लगभग 30 प्रवासी हैं। इस स्थल पर ब्लैक इबिस, एश्ली स्वॉल श्रीके, जंगल बब्बलर, बैंक मैना, रेड मुनिया, उत्तरी लापविंग और स्पॉटबिल डक जैसी अन्य प्रजातियांँ मिलती हैं।
IUCN द्वारा लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क (Lesser Adjutant Stork) को सुभेद्य (Vulnerable) घोषित किया गया है, वहीं ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, व्हाइट इबिस और व्हाइट-आईड पोचर्ड को संकटापन्न (Near Threatened) श्रेणी में रखा गया लम्बे समय तक जलमग्न रहने वाले इस क्षेत्र को हरियाली अभ्यारण्य में बदलने की तैयारी गांव वालों ने कर ली है. ढाई सौ से अधिक ग्रामीणों ने अपनी जमीन गोगाबिल पक्षी अभ्यारण्य विकसित करने के लिए राज्य सरकार को दे दी है. यहां करीब 73.78 एकड़ सरकारी जमीन पर कंजर्वेशन रिजर्व बनाया गया है. जबकि ग्रामीणों की 143 एकड़ भूमि पर गोगाबिल सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया है |
कटिहार के मनिहारी ब्लाक में ग्रामीणों ने अनूठी पहल की है। यहां के मौजा जंगला टाल इंग्लिश के निवासियों ने अपनी 143 एकड़ बिहार का पहला सामुदायिक पक्षी अभ्यारण्य बनाने की पहल की है। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की है। अब इस रैयती भूमि पर ईको टूरिज्म विकसित होगा। इलाके की तस्वीर बदलेगी। देश-दुनिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का यहां बसेरा होगा।सरकार-ग्रामीण मिलकर बना रहे आचार संहिता इस इलाके में क्या होगा और क्या नहीं यह विभाग और गांव वाले मिलकर तय कर रहे हैं। अब वहां शिकार नहीं होगा। जंगल के पेड़-पौधे भी नहीं काटे जाएंगे। वहां बोर्ड लगेंगे। बोर्ड पर वहां के नक्शे के साथ लिखा जाएगा कि क्या-क्या प्रतिबंधित है। इलाके की हदबंदी की जाएगी।

बिहार में ई बा !

प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email prasad.bipin98@gmail.com

Areraj ka Someshwar mandir

मोतिहारी का अरेराज का शिवमंदिर सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर


ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि :-


शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसे चंद्र देव ने खुद स्थापित किया था. पूर्वी चंपारण के अरेराज में बने ऐतिहासिक सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर की जिसकी ऐतिहासिकता को किसी प्रमाणिकता की जरुरत नहीं है | स्कन्द पुराण में चन्द्रमा द्वारा स्थापित इस पंचमुखी स्कन्द महादेव मंदिर का जिक्र है.पंचमुखी महादेव मंदिर पूरे भारत में केवल अरेराज में ही है.जहां अभी भी पौराणिक संस्कृति को श्रद्धालु आस्था और पूजा के माध्यम से जीवित रखे हुए हैं. लगभग विलुप्त हो चुके पामरिया नृत्य के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने की परम्परा आज भी अरेराज मे जीवित है, पर अभी भी पर्यटक स्थल की सूची से बाहर है |


एक दूसरी कहानी के अनुसार चन्द्रमा द्वारा स्थापित इस ऐतिहासिक मंदिर की चर्चा स्कन्द पुराण में भी मिलती है.जब अहिल्या प्रकरण में चन्द्रमा शापित हुए थे,तब अगस्त मुनि ने शाप से मुक्ति के लिए चंद्रमा को गण्डकी नदी के तट पर स्थित अरण्यराज में गह्वर में शिवलिंग की स्थापना करने की सलाह दी थी,जिसके स्थापना और पूजा के बाद चंद्रमा शाप से मुक्त हुए थे.
दरअसल,चंद्रमा का पर्यावाची शब्द सोम होता है.इसीलिए इन्हें सोमेश्वर नाथ मनोकामना महादेव कहा जाता है.यहां सच्चे मन से मांगने वाले लोगों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है. इस -लिए इसे मनोकामना नाथ भी कहा जाता है|
युधिष्ठिर राजपाट खोने पर इसी मंदिर पूरे श्रावण मास जलाभिषेक किया था.उसके बाद राजपाट वापस हुआ था. वही जनकपुर से अयोध्या जाने के क्रम में माता जानकी द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की थी.उसके बाद से पुत्र प्राप्ति के लिए विख्यात है.
अरेराज महादेव मंदिर में अभी भी भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखा गया है.जहां लगभग विलुप्त हो चुकी पामरिया नृत्य की परम्परा है.केसरिया प्रखंड के खजुरिया के लोक नर्तक यहां आते हैं और अपने नृत्य से भगवान को प्रसन्न करते हैं.साथ ही जिस महिला श्रद्धालु की मन्नत पूरा हो जाती है.उस महिला श्रद्धालु के आंचल पर पामरिया नृत्य कर भगवान को खुश करते हैं.पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव गीत और संगीत के आदि देव है.इसी लिए पौराणिक पमारिया नृत्य के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने की परम्परा सिर्फ यही पर देखने को मिलती है|

How to reach कैसे पहुंचे :-

अरेराज का ऐतिहासिक सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर उत्तर बिहार का सबसे प्राचीनतम एवं प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो मोतिहारी से 28 किलोमीटर पर दक्षिण में गंडक नदी के किनारे स्थित है। सावन माह में तथा अन्य पर्वो के अवसर पर लाखो श्रद्धालु भक्तजन देश तथा समीपवर्ती नेपाल से यहां लोग आते है। श्रावण में यहां मेला भी लगता है। पर्यटकों का यह प्रिय स्थल बन चुका है। मोतिहारी से 28 किलोमीटर की लिंक पूछा रोड राज्य के सभी प्रमुख सड़क से जुड़ा हुआ है |पटना से साहेबगंज होते हुए केसरिया के रास्ते अरेराज तक बनानेवाली बुद्धा सर्किट को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दे दिया गया है | आने वाले तीन साल मे इसे कार्य को पूरा का लिया जायेगा |

Railway
ट्रैन के द्वारा बापूधाम मोतिहारी देश के सभी प्रमुख स्थानों औऱ शहरो से जुड़ा हुआ है |

Airway
हवाई यात्रा के द्वारा भी जय प्रकाश नारायण हवाई अड्ड़ा ,पटना से मोतिहारी सड़क मार्ग से बस के द्वारा पहुँचा जा सकता है |

प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email prasad.bipin98@gmail.com

Indian currency signed by a Bihari : LAXMI KANT JHA

 "देश की आर्थिक नीतियों के निर्माता,विश्वविख्यात प्रशासक,राजनयिक, अर्थशास्त्री और अंतिम समय तक अपने काम के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहे।"

श्री लक्ष्मी कांत झा (LAXMI KANT JHA), का जन्म 22 November 1913,अपने बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था | ।इन्होने अपनी शिक्षा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) ,ट्रिनिटी कॉलेज , कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ,और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ,U.K . प्राप्त की |श्री झा भारतीय सिविल सेवा के 1936 बैच के सदस्य थे | ब्रिटिश शासन के दौरान आपूर्ति विभाग में उप सचिव बने और 1946 के नए साल के सम्मान में उनकी सेवा के लिए एमबीई (Member of the Most Excellent Order of the British Empire)नियुक्त किया गया।

स्वतंत्रता के बाद उन्होंने उद्योग, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों में सचिव और भारत के प्रधान मंत्री, लाल बहादुर शास्त्री (1964-66) के सचिव के रूप में कार्य किया था।और इंदिरा गांधी ने (1966-67) इन्हे आरबीआई के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया ।
उनके कार्यकाल के दौरान 2 अक्टूबर 1969 को महात्मा गांधी की जन्मशती के उपलक्ष्य में भारतीय रुपये के प्रतीक 2, 5, 10, और 100 के मूल्यवर्ग के भारतीय रुपये के नोट जारी किए गए, इन नोटों पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उनके हस्ताक्षर हैं। भारत सरकार की आधिकारिक भाषा, हिंदी में हस्ताक्षर, भारतीय रिजर्व बैंक के उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार करेंसी नोटों पर दिखाई दिए।ये हस्ताक्षर एक बिहारी के है ये सोच कर ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है

इन्ही के कार्यकाल में 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण, वाणिज्यिक बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण की शुरुआत, राष्ट्रीय ऋण परिषद की स्थापना और ऋण वितरण की सुविधा के लिए अग्रणी बैंक योजना की शुरुआत हुई।उन्होंने 1970-73 की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया जब भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा और बांग्लादेश को मुक्त कराया। हाइन्ज़ अल्फ्रेड किसिंजर(एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ, राजनयिक और भू-राजनीतिक सलाहकार हैं, जिन्होंने रिचर्ड निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के राष्ट्रपति प्रशासन के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य किया।) ने व्हाइट हाउस के वर्षों में उनकी प्रेरक राजनयिक कौशल स्वीकार किया है।
श्री लक्ष्मी कांत झा, 3 जुलाई 1973 से 22 फरवरी 1981 तक जम्मू और कश्मीर राज्य के राज्यपाल थे। एक निष्पक्ष राज्य प्रमुख के रूप में उनकी भूमिका को आज भी जम्मू-कश्मीर में स्नेह और सम्मान के साथ याद किया जाता है।
वह 1980 के दशक के दौरान उत्तर-दक्षिण आर्थिक मुद्दों पर ब्रांट आयोग(Independent Commission on International Development Issues) के सदस्य थे ।
वह भारत सरकार के आर्थिक प्रशासन सुधार आयोग के अध्यक्ष 1981-88 तक थे। । उन्होंने पीएम के आर्थिक मामलों के सलाहकार के रूप में भी काम किया। इंदिरा गांधी और बाद में राजीव गांधी। अपनी मृत्यु के समय झा राज्यसभा के सदस्य थे।
श्री झा ने Mr. Red Tape and Economic Strategy for the 80s: Priorities for the Seventh Plan सहित कई किताबें लिखीं।


धन्यवाद् दिल की गहराई से,
हम बिहारियों को गर्वित महसूस कराने के लिए !

Kali Temple in Bakhorapur Bihar (Bhojpur) Ara

बखोरापुर मंदिर

शक्ति रूपेण संस्थिता – बखोरापुर काली मंदिर
इतिहास :- काली मंदिर ट्रस्ट के सचिव के अनुसार 1862 मे भयंकर हैजा फैला हुआ था जिसमे लगभग पांचसौ ( 500 ) से अधिक लोगो की मौत हो गई थी , तभी इस गांव मे एक साधु का प्रवेश हुआ उन्होंने माँ काली की पिंड की स्थापना की बात कही थी | साथ ही कहा की ऐसा करने से बीमारी रुक जायेगा
गांव के बड़े -बुजुर्गो ने सलाह -मशवरा के बाद नीम के पेड़ के पीछे माँ काली के नौ -पिंड की स्थपना कर पूजा अर्चना की शुरुआत की गई ,चंद दिनों बाद ही साधु अदृश्य हो गया |साथ ही हैजा गांव से धीरे – धीरे समाप्त हो गया आज भी नीम का पेड़ उसी जगह उपस्थित है वही पर माँ काली का मंदिर स्थापित की गई है |

               लोगो के इस मंदिर के प्रति श्रद्धा दिन - प्रतिदिन वृद्धि हो रही है गांव मे एक ओर एक  दूसरी घटना अप्रैल 2004 की है जब मंदिर मे राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सो का आयोजन की गई थी दो लाख से अधिक लोगो का जमावड़ा था ,पेड़ के निचे लगभग 200  से अधिक लोग बैठे थे अचानक 25  फ़ीट ऊपर से पेड़ की एक डाल  टूट गई लेकिन किसी भी व्यक्ति को खरोच तक नहीं लगा | इस घटना से लोगो मे माँ के प्रति श्रद्धा और महिमा मे उत्तरोत्तर बृद्धि हो रही है |

कैसे पहुंचे बखोरापुर :- देश के सभी मार्गो से जुड़ा है जगदीशपुर ,पीरो , आरा , कोइलवर प्रमुख शहर और दूर दराज के गावो से सड़क मार्ग सेअच्छी तरह जुड़ा हुआ है |भोजपुर जिला के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत बखोरापुर जो आरा रेलवे स्टेशन से लगभग 12 कम की दूरी पर है |यहाँ जाने के लिए शहर के सभी स्थान या गंगी पुल के पास वाहन आसानी से मिल जाता है |रेलमार्ग के द्वारा भी यहाँ पहुंचा जा सकता है ,पटना से 56km की दूरी पर है पटना – दानापुर कोइलवर होते हुए आरा जंक्शन और दूसरी तरफ दीन दयाल ( मुगलसराय ) रेलप्रमण्डल की ओर से बक्सर होते हुए भी आरा जंक्शन पंहुचा जा सकता है |


कहाँ ठहरे :- यहाँ ठहरने के लिए उत्तम होटल या धर्मशाला की व्यवस्था है आरा शहर मे अनेक होटल या धर्मशाला मिल जाएंगे अब बखोरापुर मे भी मंदिर के बगल मे होटल और धर्मशाला मिल जायेगा जहाँ पर भक्त ठहर सकते है साथ ही खाने पीने की भी उत्तम व्यवस्था की गई है |


प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email :- prasad.bipin98@gmail.com

Tirupati of North India,Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar

शेखपुरा जिला मुख्यालय से महज ग्यारह किमी की दुरी पर बरबीघा-वारिसलीगंज सड़क पर यह स्थान अवस्थित है। यहां पर पांच जुलाई 1992 को तालाब की खुदाई में भगवान विष्णु की आदमकद पत्थर की विशाल प्रतिमा मिली थी |दुनिया में भगवान विष्णु की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति स्थानिक मुद्रा यानी खड़े हुए मुद्रा में भगवान विष्णु की पत्थर की प्रतिमा है .तिरुपति में स्थित मंदिर की विष्णु प्रतिमा इससे बड़ी बताई जाती है .भगवान विष्णु की इसी विशाल प्रतिमा की वजह से इस स्थान को उत्तर भारत का तिरुपति बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। यहां जेठान कार्तिक की एकादशी से पूर्णिमा तक चार दिनों का देवोत्थान मेला हर साल आयोजित होता है।

How to reach Sri Vishnu Dham, Barbigha, Sheikhpura,Bihar

By Air :::: BarBigha by bus or taxi ahead of Gaya or Patna airport

By Train :::: Gaya or Lakhisarai Station from Sheikhpura station and forward Taxi from Barbegha

By Road :::: Gaya or Lakhisarai or Patna to Bihar Sharif & By taxi to Barbegha

MAHADEV SIMARIA ,JAMUI

महादेव सिमरया मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य जमुई -सिकंदरा मार्ग से एक सड़क जुडी है, जो की एकमात्र रास्ता है|

इस मंदिर के विषय में एक प्रमुख कथा है, की परसण्डा के राजा श्री पूरणमल सिंह महादेव के अनन्य भक्त थे और हमेशा बाबा महादेव के दरबार देवघर में जाते थे एक बार नदी में काफी पानी होने के कारण वो कई बार प्रयास करने के बाद भी देवघर पूजा करने नहीं जा सके तो काफी व्यथित हो गए इसी दरम्यान सीमारिआ गांव में एक धनेश्वर नाम का कुम्हार रहता था वह मिटटी लेने गया तो खुदाई के दौरान एक शिवलिंग के रूप का पत्थर मिला उसे उठा कर दूसरे स्थान पैर रख कर मिटटी की खुदाई कर चला गया अगले दिन जब वह पुनः मिटटी लेने गया थो पथर अपने पुराने स्थान पर मिला यह सिलसिला कई दिनों तक चला फिर इसकी खबर राजा पुराण मल को मिली फिर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी उसी स्वरूप में स्तिथ है |


आसपास के ग्रामीणों की आस्था का केंद्र बना मदिर आज भी सरकारी नज़रअंदाज़ी का दंश झेल रहा है पर स्थानीय लोगो के प्रयास से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है