Bihar ने दिया था India को पहला Cardiologist
डॉ श्रीनिवास का जन्म 1919 में बिहार के समस्तीपुर जिले के बिरसिंहपुर गाँव में एक जमींदार परिवार में हुआ था।उन्होंने समस्तीपुर जिले के किंग एडवर्ड हाई स्कूल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में 1936 में पटना साइंस कॉलेज में प्रवेश लिया। उन्होंने प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से एमबीबीएस कोर्स किया, जिसे अब पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) कहा जाता है।डॉ. एस श्रीनिवास भारत से 1947 में कॉर्डियोलॉजिस्ट की ट्रेनिंग के लिए अमरीका गए थे. उन्हें मॉर्डन कॉर्डियोलॉजी के पिता पॉल डी व्हाइट से मिली ट्रेनिंग और वो उनसे ट्रेनिंग पाने वाले इकलौते भारतीय डॉक्टर हैं. ट्रेनिंग के बाद साल 1950 में वो भारत लौटे और पटना मेडिकल कॉलेज में हृदय रोगियों के लिए विभाग बनाया. वो इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ़ कॉर्डियोलॉजी के संस्थापक निदेशक रहे और उनके सम्मान में साल 2017 में भारत सरकार के डाक विभाग ने पोस्टल इनवेलेप जारी किया।
- डॉ श्रीनिवास पहली बार भारत में आधुनिक ईसीजी मशीन लेकर आए थे।
- डॉ श्रीनिवास साल 1958 में ईसीजी सिद्धांत दिया ,जिसमे उन्होंने बताया की दो इंसानों के ईसीजी एकसमान नहीं होते, तो इसका प्रयोग इंसानी पहचान के लिए किया जा सकता है।
- डॉ श्रीनिवास साल 1960 में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का विचार भी दिया और एलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी,आयुर्वेद और नेचुरापैथी को मिलाकर 1977 में पॉलीपैथी (POLYPATHY)की शुरुआत की और इन्हे पॉलीपैथी के जनक के रूप में जाने जाते है।
8 नवंबर, 2010 में निधन होने तक पटना के व्यस्ततम डॉक्टर बने रहे. श्रीनिवास के बेटे तांडव आइंस्टीन समदर्शी और पोते सत्य सनातन श्रीनिवास विरासत बढ़ा रहे हैं।