बिहार का राज्य गीत – “मेरे भारत के कंठ हार”

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“मेरे भारत के कंठ हार” बिहार राज्य का आधिकारिक राज्य गीत है, जिसे प्रसिद्ध लेखक सत्य नारायण ने लिखा और संगीतकार पं. हरि प्रसाद चौरसियापं. शिवकुमार शर्मा ने संगीतबद्ध किया। इस गीत को मार्च 2012 में आधिकारिक तौर पर बिहार राज्य गीत के रूप में अपनाया गया।

यह गीत न सिर्फ बिहार के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है, बल्कि इसके उज्ज्वल भविष्य की झलक भी दिखाता है। “मेरे भारत के कंठ हार” बिहार की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और बौद्धिक विरासत को सम्मानित करता है और हर बिहारी के भीतर गर्व और आत्मसम्मान की भावना भर देता है।


राज्य गीत: “मेरे भारत के कंठ हार” – सम्पूर्ण पाठ

मेरे भारत के कंठहार
तुक्षको शत–शत वंदन बिहार

तू वाल्मीकि की रामायण, तू वैशाली का लोकतंत्र
तू बोधिसत्व की करुणा है, तू महावीर का शांतिमंत्र
तू नालंदा का ज्ञानदीप, तू हीं अक्षत चंदन बिहार
तू है अशोक की धर्मध्वजा, तू गुरुगोविंद की वाणी है
तू आर्यभट्ट, तू शेरशाह, तू कुंवर सिंह बलिदानी है
तू बापू की है कर्मभूमि, धरती का नंदन वन बिहार
तेरी गौरव गाथा अपूर्व, तू विश्व शांति का अग्रदूत
लौटेगा खोया स्वाभिमान, अब जाग चुके तेरे सपूत
अब तू माथे का विजय तिलक, तू आँखों का अंजन बिहार
तुक्षको शत–शत वंदन बिहार
मेरे भारत के कंठहार


बिहार गान का महत्व

इस गीत को पढ़ने या सुनने के बाद हर बिहारी को अपने स्वर्णिम अतीत की याद आती है और यह भावना जागती है कि हमें अपने राज्य को उसकी खोई हुई पहचान दिलाने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए।

चाहे हम देश में हों या विदेश में, हम बिहारी अपने बिहार की उन्नति के सपने संजोए हुए हैं। यह गीत हम सभी को एकजुट करता है और बिहार के लिए कुछ कर दिखाने की प्रेरणा देता है।


हमारा प्रयास: बिहार को सम्मान और पहचान दिलाना

यह पोर्टल भी एक छोटा-सा प्रयास है, अपने बिहार और बिहारी भाइयों और बहनों के गौरव को बढ़ाने के लिए।
आइए, हम सब मिलकर अपने पूर्वजों को शत-शत नमन करें, जिन्होंने इस पुण्य भूमि को अपनी मेहनत और बलिदान से संचित किया।

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