भोलापसवान शास्त्री (21 सितंबर 1914 – 10 सितंबर 1984) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे। वे बिहार के पहले अनुसूचित जाति (SC) के मुख्यमंत्री और भारत के 8वें मुख्यमंत्री थे, जो सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के सशक्तिकरण के लिए काम करते रहे।
भोलापसवान का जन्म बिहार के पूर्णिया (अब कटिहार) जिले के बैरगच्छी गांव में एक गरीब पासवान परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा काशी विद्यापीठ में हुई, और उनकी विद्वता के कारण उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई। उनके नाम पर भोलापसवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गई है।
राजनीतिक करियर
भोलापसवान शास्त्री का राजनीतिक जीवन कई संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा:
- पहला कार्यकाल (1968): उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन यह कार्यकाल सिर्फ 100 दिनों तक चला।
- दूसरा कार्यकाल (1969): कांग्रेस के विभाजन के बाद वे 13 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने।
- तीसरा कार्यकाल (1971): कांग्रेस (आर) में शामिल होकर उन्होंने 7 महीने तक मुख्यमंत्री पद संभाला।
हर बार उनके कार्यकाल में राजनीतिक अस्थिरता रही, लेकिन उन्होंने सामाजिक न्याय और दलित वर्गों के उत्थान के लिए हमेशा काम किया।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
भोलापसवान शास्त्री का जीवन सादगी और ईमानदारी का प्रतीक था। वे अपने गांव में एक साधारण झोपड़ी में रहते थे और जीवन भर फर्श पर सोते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कभी अपने लिए कोई निजी संपत्ति नहीं जुटाई।
उनके गांव में कई स्थानों पर उनके नाम के बोर्ड लगे हैं, और एक सड़क किनारे बोर्ड पर लिखा है “भोलापसवान शास्त्री ग्राम”। स्थानीय विधायक द्वारा उनके घर के पास एक सामुदायिक भवन बनवाया गया है।
मुख्य विशेषताएं:
- पहले दलित मुख्यमंत्री
- सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के उत्थान के प्रबल समर्थक
- सादगी और ईमानदारी के प्रतीक
- तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने