दरोगा प्रसाद राय: एक प्रेरणादायक राजनेता की कहानी

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दरोगा प्रसाद राय का जन्म 2 सितंबर 1922 को बिहार के एक छोटे से गाँव में हुआ था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे दरोगा प्रसाद ने अपनी बुद्धिमानी और संघर्षशीलता से खुद को राजनीति के शिखर तक पहुंचाया। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई, खासकर बिहार में।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

दरोगा प्रसाद राय की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुई। उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून की डिग्री प्राप्त की। उनके अंदर समाज सेवा और जन कल्याण की गहरी भावना थी, जिसने उन्हें राजनीति की ओर प्रेरित किया।

मुख्यमंत्री का कार्यकाल

1970 में दरोगा प्रसाद राय ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उनका कार्यकाल केवल दस महीने का था, लेकिन इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के अल्पमत में आ जाने के कारण उनका कार्यकाल समाप्त हो गया, और करपूरी ठाकुर ने मुख्यमंत्री का पद संभाला।

उपमुख्यमंत्री के रूप में योगदान

2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक दरोगा प्रसाद राय ने अब्दुल गफूर की सरकार में वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाने और बिहार को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।

परिवार और राजनीतिक धरोहर

दरोगा प्रसाद राय के पांच पुत्र थे, जिनमें से चंद्रिका राय ने 1990 के दशक में जनता दल के साथ राजनीति में प्रवेश किया और लालू प्रसाद यादव के साथ सहयोग किया। दरोगा प्रसाद राय की राजनीतिक विरासत उनके परिवार में जीवित रही। उनकी पोती ऐश्वर्या राय ने लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव से 12 मई 2018 को विवाह किया।

निष्कर्ष

दरोगा प्रसाद राय न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि एक सच्चे जनसेवक भी थे। उनका जीवन संघर्ष, मेहनत और जनता के प्रति समर्पण की मिसाल है। उन्होंने अपने कार्यकाल में बिहार के विकास के लिए जो प्रयास किए, वे आज भी याद किए जाते हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर हमारे इरादे मजबूत हों, तो हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं।

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