मंदार पर्वत का ऐतिहासिक और पौराणिक विवरण

Mandar Parvat

स्थान:
मंदार पर्वत बिहार के बांका जिले में स्थित है, जो भागलपुर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एक विशाल ग्रेनाइट पहाड़ी है जिसकी ऊँचाई लगभग 700 फीट है। इसके चारों ओर हरियाली और जलाशय इसे बेहद आकर्षक बनाते हैं।


पौराणिक महत्व

  1. समुद्र मंथन:
    • हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मंदार पर्वत का उपयोग समुद्र मंथन के दौरान मथानी के रूप में किया गया था। देवताओं और असुरों ने अमृत (अमरत्व का अमृत) प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग किया था।
    • वासुकी नाग को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था, और भगवान विष्णु ने कच्छप (कछुए) के रूप में पर्वत को स्थिर किया था।
  2. धार्मिक महत्व:
    • मंदार पर्वत पर भगवान विष्णु का मंदिर स्थित है।
    • पहाड़ी पर मौजूद प्राकृतिक निशान मंथन के दौरान रस्सी के जलने के निशान माने जाते हैं।
  3. जैन धर्म का योगदान:
    • जैन धर्म के अनुसार, यह स्थान 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की निर्वाण भूमि है।
    • पहाड़ी पर जैन धर्म से संबंधित प्राचीन शिलालेख और मूर्तियाँ भी देखी जा सकती हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक आकर्षण

  1. बासुकीनाथ मंदिर:
    मंदार पर्वत के तल पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
  2. शत्रुघ्न तालाब:
    पर्वत के पास स्थित इस पवित्र जलाशय का नाम भगवान राम के भाई शत्रुघ्न के नाम पर रखा गया है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ स्नान करने से पापों का नाश होता है।
  3. विष्णु मंदिर:
    पर्वत पर भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें सुंदर नक्काशी और मूर्तियाँ हैं।

ऐतिहासिक साक्ष्य और कलाकृतियाँ

  1. प्राचीन शिलालेख:
    मंदार पर्वत पर कई प्राचीन शिलालेख पाए गए हैं, जो इसे हिंदू और जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बताते हैं।
  2. मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ:
    यहाँ पर हिंदू देवी-देवताओं और जैन तीर्थंकरों की प्राचीन मूर्तियाँ पाई गई हैं। कुछ मूर्तियाँ स्थानीय संग्रहालयों में भी रखी गई हैं।
  3. ऐतिहासिक संदर्भ:
    कई पौराणिक ग्रंथ और लोक कथाएँ मंदार पर्वत का उल्लेख करती हैं, जिससे इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

वर्तमान में मंदार पर्वत का महत्व

  1. मंदार महोत्सव:
    हर साल जनवरी में मकर संक्रांति के आस-पास यहाँ मंदार महोत्सव मनाया जाता है। यह महोत्सव स्थानीय संस्कृति, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन करता है और दूर-दूर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  2. पर्यटन:
    यह स्थान ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं।
  3. भूवैज्ञानिक महत्व:
    मंदार पर्वत एक विशाल ग्रेनाइट पहाड़ी है, जो भूवैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह प्राचीन शैल संरचनाओं का अध्ययन करने के लिए उपयुक्त स्थान है।

मंदार पर्वत कैसे पहुँचे?

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पटना एयरपोर्ट है, जो लगभग 300 किमी दूर है।
  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन बांका है, जो भागलपुर से जुड़ा हुआ है।
  • सड़क मार्ग: मंदार पर्वत भागलपुर और पटना जैसे शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

मंदार पर्वत केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और पौराणिक धरोहर का प्रतीक है। यह स्थान तीर्थयात्रियों, इतिहासकारों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक विशेष अनुभव प्रदान करता है।

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