बिहारी दिमाग के जुगाड़ – इनोवेशन की मिसालें

बिहारी दिमाग

जब बात जुगाड़ की आती है, तो बिहारियों का जवाब नहीं। सीमित संसाधनों में असाधारण समाधान निकालने की कला उन्हें खास बनाती है। कोरोना काल में ट्रक ड्राइवरों के लिए चलती फिरती रसोई से लेकर, साइकिल से फोन चार्ज करने तक – ये हैं बिहारी इनोवेशन की कुछ बेमिसाल कहानियाँ:

1. चलती-फिरती रसोई (मूविंग किचन) – ट्रक के नीचे बना भोजनालय कोरोना काल में जब ढाबे बंद हो गए, तो एक बिहारी युवक ने ट्रक के नीचे एक छोटा-सा किचन बना डाला। इसमें गैस सिलेंडर, बर्तन और बैठने की व्यवस्था थी ताकि ड्राइवर खुद खाना पका सकें। यह एक सस्ता, टिकाऊ और पोर्टेबल समाधान बन गया।

2. बांस और प्लास्टिक से बना हैंडवॉश स्टेशन गांव के युवाओं ने बांस, डिब्बों और पाइप से ऐसा हैंडवॉश स्टेशन तैयार किया जिसमें बिना हाथ लगाए पानी और साबुन निकलता था। यह कोविड सुरक्षा में बड़ी मदद बना।

3. साइकिल चालित मोबाइल चार्जर बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में एक छात्र ने साइकिल में डाइनामो जोड़कर फोन चार्ज करने का तरीका इजाद किया। चलते-चलते फोन चार्ज हो जाता है, बिलकुल मुफ्त में।

4. पुराना कूलर बना सब्ज़ी फ्रिज एक किसान ने पुराने कूलर का इस्तेमाल कर सब्ज़ियाँ ताज़ा रखने वाला लो-टेक फ्रिज तैयार किया। इसमें बर्फ डालकर वह सब्ज़ियाँ 2-3 दिन तक स्टोर कर लेते थे।

5. देसी सोलर स्टोव एल्युमिनियम शीट और पुराने शीशे से तैयार किया गया यह सोलर कुकर खाना पकाने का इको-फ्रेंडली तरीका बना। गाँवों में यह लकड़ी और गैस की बचत करता है।

6. बांस और प्लास्टिक ड्रम से बनी नाव बारिश में नदी पार करने के लिए एक किसान ने बांस और खाली ड्रम से नाव बनाई, जिससे वह खेतों तक आसानी से पहुँच पाता था।

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