बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है, जिसने न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में बल्कि हिंदी साहित्य में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। यहां के महान कवियों ने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया और देश की राष्ट्रीय चेतना को स्वर दिया। आइए जानते हैं बिहार के उन महान कवियों के बारे में, जिन्होंने साहित्य में इतिहास रच दिया।
बिहार के सबसे प्रसिद्ध कवि
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- जन्म: 23 सितंबर 1908, सिमरिया, मुंगेर जिला
- प्रमुख योगदान: वीर रस के सर्वश्रेष्ठ कवि
- प्रसिद्ध कृतियाँ: हुंकार, इतिहास के आँसू, रेणुका
रामधारी सिंह दिनकर हिंदी साहित्य के स्तंभ माने जाते हैं। उनकी कविताओं में राष्ट्रीयता, क्रांति और चेतना की गूंज सुनाई देती है। उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ का सम्मान प्राप्त है।
आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री
- जन्म: 5 फरवरी 1916, मैगरा गाँव, गया जिला
- प्रमुख योगदान: संस्कृत से हिंदी साहित्य में परिवर्तन
- प्रसिद्ध प्रेरणा: महाकवि निराला
आचार्य शास्त्री ने हिंदी साहित्य में गहरी छाप छोड़ी। उनकी प्रारंभिक रचनाएँ संस्कृत में थीं, लेकिन बाद में हिंदी कविता में उन्होंने अद्वितीय योगदान दिया।
महाकवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- जन्म: 11 सितंबर 1907, आरा जिला
- प्रमुख योगदान: हिंदी कविता में काल्पनिक सौंदर्य
केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ हिंदी साहित्य के कल्पनाशील कवियों में गिने जाते हैं। उनकी रचनाओं में मोहक कल्पना और सुंदरता का समावेश है।
मोहनलाल महतो ‘वियोगी’
- जन्म: 1902, गया जिला
- प्रमुख योगदान: वियोगी लेखन शैली
- प्रसिद्ध कृतियाँ: कल्पना, रजकण, एकतारा, इसके बाद
मोहनलाल महतो हिंदी साहित्य में वियोग भाव की गहन अनुभूति के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कविताएँ पाठकों के हृदय को छू जाती हैं।
पंडित हंस कुमार तिवारी
- जन्म: 15 अगस्त 1918, भागलपुर जिला
- प्रमुख योगदान: साहित्यकार, पत्रकार और संगीतकार
- प्रथम पुस्तक: कला
हंस कुमार तिवारी बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने स्वतंत्र लेखन, पत्रकारिता और संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए।
आर. सी. प्रसाद सिंह
- जन्म: 19 अगस्त 1911, एरौत गाँव, समस्तीपुर
- प्रमुख योगदान: जीवन और यौवन के कवि
- सम्मान: साहित्य अकादमी पुरस्कार
आर. सी. प्रसाद सिंह जीवन की ऊर्जस्विता और यौवन की तरंग को अपनी कविताओं में अभिव्यक्त करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
कलक्टर सिंह केसरी
- जन्म: 5 जून 1909, समस्तीपुर जिला
- प्रमुख योगदान: समस्तीपुर कॉलेज के संस्थापक
- प्रसिद्ध रचनाएँ: मराली, कदंब, आम-महुआ
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में कलक्टर सिंह केसरी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से ग्रामीण जीवन के सौंदर्य को उकेरा।
विद्यापति: मैथिली के अमर कवि
- जन्म: 1352, बिस्फी गाँव, मधुबनी जिला
- प्रमुख योगदान: मैथिली और संस्कृत साहित्य में योगदान
- उपाधि: ‘मैथिल कवि कोकिल’
विद्यापति को आदिकाल का अमर कवि माना जाता है। उनके भक्ति गीत और प्रेमगीत आज भी मैथिली संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
बिहार के इन महान कवियों ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक चेतना को भी गहराई प्रदान की। उनकी रचनाएँ आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं और आने वाली पीढ़ियों को साहित्यिक मार्गदर्शन देती रहेंगी।