बिहार की राजनीति और राजनीतिक इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय

परिचय

भारत के राजनीतिक नक्शे में बिहार हमेशा एक अहम स्थान रखता आया है। यह राज्य न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, बल्कि देश की राजनीति में भी अपनी मजबूत पहचान रखता है। बिहार ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारतीय राजनीति तक कई निर्णायक क्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


प्राचीन काल की राजनीतिक विरासत

बिहार का राजनीतिक इतिहास हजारों साल पुराना है। प्राचीन काल में यही भूमि मगध साम्राज्य का केंद्र रही, जिसने मौर्य और गुप्त जैसे शक्तिशाली राजवंशों को जन्म दिया।

  • मौर्य साम्राज्य (चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक महान) ने भारतीय उपमहाद्वीप को पहली बार एक विशाल राजनीतिक इकाई में जोड़ा।
  • नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के कारण यह क्षेत्र शिक्षा और राजनीति का केंद्र भी रहा।

स्वतंत्रता संग्राम और बिहार

ब्रिटिश शासन के खिलाफ बिहार ने कई क्रांतिकारी आंदोलन दिए।

  • चंपारण सत्याग्रह (1917) महात्मा गांधी का पहला बड़ा आंदोलन था, जिसने देशभर में स्वतंत्रता की चेतना जगाई।
  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति) और जयप्रकाश नारायण जैसे नेता यहीं से निकले, जिन्होंने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी।

आधुनिक राजनीति में बिहार

स्वतंत्रता के बाद बिहार भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण राज्य बन गया। यहाँ की राजनीति जातीय समीकरणों, सामाजिक न्याय आंदोलनों और क्षेत्रीय दलों की सक्रियता के लिए प्रसिद्ध है।

  • 1970–80 के दशक में जेपी आंदोलन ने राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित किया।
  • 1990 के दशक में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में सामाजिक न्याय और पिछड़ों के उत्थान की राजनीति ने नया मोड़ लिया।
  • 2005 के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में विकास और सुशासन पर फोकस बढ़ा।

मुख्य राजनीतिक दल

  1. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) – सामाजिक न्याय की राजनीति के लिए प्रसिद्ध।
  2. जनता दल (यूनाइटेड) – JDU – सुशासन और विकास का एजेंडा।
  3. भारतीय जनता पार्टी (BJP) – राष्ट्रीय राजनीति के साथ मजबूत उपस्थिति।
  4. कांग्रेस पार्टी – ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण, लेकिन हाल के वर्षों में कमजोर।

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

आज बिहार की राजनीति में गठबंधन की राजनीति अहम है। चुनावी नतीजे अक्सर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के गठजोड़ पर निर्भर करते हैं। रोजगार, शिक्षा, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे का विकास अब चुनावी एजेंडे के केंद्र में है।


निष्कर्ष

बिहार की राजनीति उसके लंबे इतिहास, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़ी है। यह राज्य लगातार भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा देता रहा है और आने वाले समय में भी देश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता रहेगा।

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