बिहार की पहली भोजपुरी फिल्म – गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो

ganga mayia tohe piyari chadhayibo

भोजपुरी सिनेमा का इतिहास बहुत ही समृद्ध और रोचक रहा है। इसकी शुरुआत हुई थी वर्ष 1963 में, जब पहली भोजपुरी फिल्म “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो” रिलीज़ हुई। यह फिल्म सिर्फ एक सिनेमा नहीं थी, बल्कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति को पहचान दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।

फिल्म का नाम: गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो

  • रिलीज़ डेट: 22 फरवरी 1963
  • निर्देशक: कुंदन कुमार
  • निर्माता: जय नारायण लाल, विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी
  • मुख्य कलाकार: कुमकुम, असीम कुमार, नज़ीर हुसैन, हेलन
  • संगीतकार: चित्रगुप्त
  • गीतकार: शैलेन्द्र

फिल्म बनने की प्रेरणा

इस फिल्म की प्रेरणा भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से मिली थी। उन्होंने प्रसिद्ध अभिनेता नज़ीर हुसैन को अपनी मातृभाषा भोजपुरी में एक फिल्म बनाने की सलाह दी थी। नज़ीर हुसैन ने इस बात को गंभीरता से लिया और उसी प्रेरणा से इस फिल्म का निर्माण हुआ।


फिल्म की कहानी

“गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो” एक भावनात्मक और सांस्कृतिक कहानी है, जो एक ग्रामीण लड़की की सामाजिक परिस्थितियों और आस्था को दर्शाती है। फिल्म में गंगा नदी को श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक दिखाया गया है। यह कहानी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के आम लोगों की ज़िंदगी से जुड़ी हुई है।


संगीत और गीत

इस फिल्म के संगीत को चित्रगुप्त ने तैयार किया और गीतों को शैलेन्द्र ने लिखा। इसके गीतों को स्वर दिया लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, और शमशाद बेगम जैसे दिग्गज गायकों ने।
गीतों में भोजपुरी की मिठास, भक्ति भाव और लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।


भोजपुरी सिनेमा की नींव

यह फिल्म न केवल पहली भोजपुरी फिल्म थी, बल्कि इसने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की नींव रखी। इसकी सफलता ने आगे चलकर कई फिल्म निर्माताओं को भोजपुरी सिनेमा की ओर आकर्षित किया। आज भोजपुरी सिनेमा एक बड़ा उद्योग बन चुका है, जिसकी शुरुआत इसी फिल्म से हुई थी।

यह वीडियो फिल्म के निर्देशक कुंदन कुमार और निर्माता विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी द्वारा निर्मित इस ऐतिहासिक फिल्म का पूरा संस्करण प्रस्तुत करता है।

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