बांका, बिहार राज्य का एक ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है। यह न केवल भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला क्षेत्र रहा है, बल्कि इसकी पौराणिक मान्यताएं, प्राकृतिक सौंदर्य, और धार्मिक स्थल इसे एक अद्वितीय पहचान देते हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन में बांका का योगदान
बांका भारत के उन चुनिंदा जिलों में से एक है, जहाँ स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
- यह क्रांतिकारी सतीश प्रसाद झा की जन्मभूमि है, जो 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय पर भारतीय ध्वज फहराने वाले सात शहीदों में शामिल थे। उनका जन्म खरहरा गाँव (ढाकामोड़ के पास) हुआ था।
- इसी जिले के फागा गाँव के भुवनेश्वर मिश्रा ने भी ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ क्रांतिकारी संघर्ष किया और कई अंग्रेज सैनिकों को मारने के कारण उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा दी गई।
🏔️ मंदार हिल (Mandar Hill) – पौराणिक और धार्मिक महत्व
बांका जिले की पहचान मंदार पर्वत से जुड़ी हुई है, जो जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर बौंसी ब्लॉक में स्थित है। यह पहाड़ी हिंदू पौराणिक ग्रंथों में “मंदराचल पर्वत” के रूप में वर्णित है और इसे समुद्र मंथन का केंद्र माना जाता है।
- महाभारत और स्कंद पुराण के अनुसार, देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन करते समय मंदार पर्वत का उपयोग किया था।
- मंदार हिल के पास स्थित है “पाफर्णी तालाब”, जिसका जल पवित्र माना जाता है। यहाँ स्नान करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि का अनुभव होता है।
- तालाब के मध्य स्थित भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
🎉 बौंसी मेला – परंपरा, आस्था और संस्कृति का संगम
हर वर्ष 14 जनवरी (मकर संक्रांति) से मंदार हिल की तलहटी में भव्य “बौंसी मेला” का आयोजन होता है, जो लगभग एक महीने तक चलता है।
यह मेला धार्मिकता, व्यापार, और सांस्कृतिक गतिविधियों का अनूठा संगम है, जहाँ दूर-दराज से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।