अजगैबीनाथ मंदिर सुल्तानगंज: देवघर बाबा बैद्यनाथधाम से जुड़ी पौराणिक कथा और महत्व

अजगैबीनाथ मंदिर सुल्तानगंज

अजगैबीनाथ मंदिर बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे विशाल ग्रेनाइट चट्टान पर बना हुआ है और अपनी धार्मिक मान्यताओं व पौराणिक कथाओं के कारण विशेष महत्व रखता है। खास बात यह है कि अजगैबीनाथ मंदिर का सीधा संबंध झारखंड के बाबा बैद्यनाथधाम, देवघर से माना जाता है।

अजगैबीनाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास

माना जाता है कि इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में भी मिलता है। अजगैबीनाथ मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव का त्रिशूल भी स्थित है, जिसके दर्शन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

अजगैबीनाथ से देवघर तक कांवर यात्रा का महत्व

श्रावण मास में अजगैबीनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर पहले अजगैबीनाथ महादेव का जलाभिषेक करते हैं, फिर लगभग 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथधाम पहुंचते हैं।

मान्यता है कि अजगैबीनाथ मंदिर के गर्भगृह से एक मार्ग सीधा देवघर तक जाता है, जिसे पौराणिक कथाओं में भी उल्लेखित किया गया है।

अजगैबीनाथ मंदिर के पुजारी देवघर क्यों नहीं जाते?

एक प्रचलित कथा के अनुसार, लगभग 500 वर्ष पूर्व इस मंदिर के महंत सिद्धनाथ भारती और उनके शिष्य केदारनाथ भारती प्रतिदिन सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर जाते थे और बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित करते थे।

कहानी के अनुसार, एक दिन भगवान शिव ने साधु का वेश धारण कर महंत की परीक्षा ली। उन्होंने महंत से जल पिलाने का अनुरोध किया, लेकिन महंत ने उन्हें अन्यत्र जल पीने को कहा। तब भगवान शिव ने अपने असली रूप में प्रकट होकर महंत से कहा कि उन्हें अब रोज देवघर आने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे स्वयं अजगैबीनाथ मंदिर में वास करते हैं। भगवान शिव ने यह भी कहा कि केवल श्रृंगार के समय वे देवघर जाते हैं और अजगैबीनाथ मंदिर में दो पिंड स्वरूप में विराजमान रहेंगे

तभी से अजगैबीनाथ मंदिर के पुजारी देवघर जाकर जलाभिषेक नहीं करते, जबकि भक्त पहले अजगैबीनाथ में जल चढ़ाते हैं और फिर देवघर जाते हैं।

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