बिहार का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो हजारों वर्षों तक फैला हुआ है। यहाँ बिहार के प्रमुख ऐतिहासिक कालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

Divisions of Bihar

प्राचीन इतिहास

  1. वैदिक काल (1500–600 ई.पू.): बिहार का उल्लेख वैदिक ग्रंथों में मिलता है और यह मगध, अंग और विदेह जैसे प्राचीन राज्यों का हिस्सा था। विदेह राज्य की राजधानी मिथिला थी, जिसे महान विद्वान और दार्शनिक राजा जनक का स्थान माना जाता है। मिथिला को रामायण की सीता का जन्मस्थान भी माना जाता है।
  2. महाजनपद युग (छठी सदी ई.पू.): इस समय मगध राज्य, जिसकी राजधानी राजगीर और बाद में पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) थी, 16 महाजनपदों में से एक था। हर्यक वंश के राजा बिम्बिसार और अजातशत्रु के शासनकाल में मगध का उत्थान हुआ।
  3. बौद्ध और जैन धर्म का उदय (छठी सदी ई.पू.): बिहार बौद्ध और जैन धर्मों का उद्गम स्थल रहा है। गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया और महावीर, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, का जन्म वैशाली में हुआ था। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों ने इस समय विश्वभर के विद्वानों को आकर्षित किया।
  4. मौर्य साम्राज्य (चौथी–दूसरी सदी ई.पू.): चंद्रगुप्त मौर्य और बाद में सम्राट अशोक के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला। अशोक ने बाद में बौद्ध धर्म को अपनाया और अहिंसा का प्रचार किया, जिससे बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार हुआ। पाटलिपुत्र मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी।
  5. गुप्त साम्राज्य (चौथी–छठी सदी ई.): गुप्त साम्राज्य को भारतीय संस्कृति, विज्ञान और गणित का स्वर्ण युग कहा जाता है। इस काल में पाटलिपुत्र गुप्तों की राजधानी थी। महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट भी इसी क्षेत्र से थे।

मध्यकालीन इतिहास

  1. पाल वंश (आठवीं–बारहवीं सदी ई.): पाल वंश बौद्ध धर्म के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध था, और उनके शासनकाल में नालंदा विश्वविद्यालय समृद्ध हुआ। उन्होंने बिहार, बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों पर शासन किया। पालों के बाद सेना वंश का उदय हुआ।
  2. मुस्लिम आक्रमण (बारहवीं–सोलहवीं सदी ई.): बिहार पर बार-बार मुस्लिम आक्रमण हुए, जिनमें से सबसे प्रमुख था 12वीं सदी में मुहम्मद गोरी का आक्रमण। इसके बाद यह दिल्ली सल्तनत और फिर मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

मुगल काल (सोलहवीं–अठारहवीं सदी ई.)

मुगल साम्राज्य के अधीन बिहार एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और आर्थिक क्षेत्र था। इस दौरान बिहार में अपेक्षाकृत शांति बनी रही, हालांकि स्थानीय शासकों और ज़मींदारों के विद्रोह होते रहे।

औपनिवेशिक युग

  1. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (1764 के बाद): 1764 में बक्सर के युद्ध के बाद बिहार ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। यह क्षेत्र बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  2. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन: बिहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र रहा। 1917 का चंपारण सत्याग्रह, जिसे महात्मा गांधी ने नेतृत्व दिया, ब्रिटिश शासन के खिलाफ नागरिक अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक था। बिहार के राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने।

स्वतंत्रता के बाद

स्वतंत्रता के बाद बिहार 1912 में बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर एक प्रांत बना। स्वतंत्रता के बाद बिहार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक तनाव प्रमुख थे। इसके बावजूद, यह सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, जिसका इतिहास विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभावों का मिश्रण है।

बिहार आज भी बौद्ध और जैन धरोहर के कारण धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र है, और इसका संबंध महात्मा बुद्ध और महावीर जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों से है।

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