MAHADEV SIMARIA ,JAMUI

महादेव सिमरया मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य जमुई -सिकंदरा मार्ग से एक सड़क जुडी है, जो की एकमात्र रास्ता है|

इस मंदिर के विषय में एक प्रमुख कथा है, की परसण्डा के राजा श्री पूरणमल सिंह महादेव के अनन्य भक्त थे और हमेशा बाबा महादेव के दरबार देवघर में जाते थे एक बार नदी में काफी पानी होने के कारण वो कई बार प्रयास करने के बाद भी देवघर पूजा करने नहीं जा सके तो काफी व्यथित हो गए इसी दरम्यान सीमारिआ गांव में एक धनेश्वर नाम का कुम्हार रहता था वह मिटटी लेने गया तो खुदाई के दौरान एक शिवलिंग के रूप का पत्थर मिला उसे उठा कर दूसरे स्थान पैर रख कर मिटटी की खुदाई कर चला गया अगले दिन जब वह पुनः मिटटी लेने गया थो पथर अपने पुराने स्थान पर मिला यह सिलसिला कई दिनों तक चला फिर इसकी खबर राजा पुराण मल को मिली फिर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी उसी स्वरूप में स्तिथ है |


आसपास के ग्रामीणों की आस्था का केंद्र बना मदिर आज भी सरकारी नज़रअंदाज़ी का दंश झेल रहा है पर स्थानीय लोगो के प्रयास से मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है

Non-stop chants of Sita-Ram are being done from past 61 years in Baghi dham,Bihar

अपने बिहार की राजधानी पटना से 150 KM दूर सीतामढ़ी जिले में एक शिव मंदिर जिसे बगही धाम के नाम से जाना जाता है |
इस धाम में विगत 61 वर्षो से लगातार भगवान का कीर्तन चल रहा है सुनने में अविश्वनीय जरूर लग रहा है पर भी लोग इस धाम से वाकिफ है उन्हें ये पता है की 1954 से ही गुरु नारायण दास के द्वारा शुरू किया हुआ,अखंड संकीर्तन आज भी चल रहा है इसका संचालन स्थानीय ग्रामीणों और आश्रम में रहने वाले संतो के सम्मिलित प्रयास से निरंतर चल रहा है |और इसे दो-दो घंटे के पारी में बांटा गया है,हरेक दो घंटे के अंतराल में निर्धारित समूह योगदान दे कर इसे सुचारु रूप से चलाता है
|आज यह धाम सीतमढी सहित आस पास के पांच छह जिलों में जैसे दरभंगा,मधुबनी ,मोतिहारी शिवहर,मुज़फरपुर ,मोतिहारी और नेपाल के लोगो का आस्था का केंद्र है |बाबा ने जन सहयोग से उस स्थान पर एक 108 कमरों का चार मंजिला भवन बनवाया। यह एक गोल भवन की तरह है। जिसमें चार द्वार है |

बाबा नारायण दास का जन्म बगही गांव के एक साधारण परिवार में 17 फरवरी 1917 को हुआ था। बाबा का वास्तविक नाम छतर दास यादव था। जो बाद में तपस्वी नारायण दास के नाम से ख्यात हुए। सवा दो सौ साल पहले रंजीतपुर गांव के भूल्लर साह रौनियार ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में आकर बाबा नारायण दास तप करने लगे। तप के माध्यम से उन्होंने अलौकिक शक्ति प्राप्त की और निकल पड़े जन कल्याण की राह पर। उन्होंने राम नाम जाप के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। राम नाम का जाप करते हुए वृंदावन में बाबा ने 7 दिसंबर 2000 को अपने शरीर का त्याग किया।

Artkala YouTube channel is worlds 2nd largest DIY Channel running from Bihar by Bihari

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े DIY Creator (Do it Yourself Creator) YouTube Channel अपने बिहार से है क्या आप जानते है ?

बिहारियों ने सभी क्षेत्रो में अपना लोहा मनवाया है और सोसल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी अपना जलवा दिखाया है बिहारियों ने यूट्यूब प्लेटफार्म पर अपना नाम आगे रखा है उनके वीडियोस बहुत पॉपुलर है और पूरी दुनिया में अपना और बिहार का नाम रोशन कर रहे है Artkala एक ऐसा ही यूट्यूब चैनल तीन बिहारियों के लग्नशीलता और अनोखी सोच का एक प्रतिफल है ।
बिहार के युवाओ के एक अनोखा प्रयास जिसमे घर के व्यर्थ के सामान का और कुछ मामूली फेविकोल जैसी चीजों का प्रयोग करके उसे दुबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जा सकता है और इस प्रयास को दुनिया भर के लोगो का प्यार मिला और Artkala के सब्स्क्रिबरो की लगातार बढ़ती हुई संख्या इसकी सफलता का प्रमाण है ।
पवन कुमार पटना-बिहार का एक 19 वर्षीय लड़का है, जिसने 25 सितंबर 2016 को अपनी दो बड़ी बहनों स्नेहा कुमारी और पूजा कुमारी के साथ अपना YouTube चैनल शुरू किया।उन्हें अपने परिवार से मदद मिला, जिन्होंने उन्हें वीडियो बनाने में खर्च करने के लिए कुछ आर्थिक मदद दे कर उनका उत्साहवर्धन किआ ।
हमें यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि अब Artkala बिहार से चलने वाला और बिहारियों द्वारा चलाया जाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा DIY चैनल है ।
हमें गौरवान्वित करने के लिए धन्यवाद ।
https://www.artkala.com/

Holy Saviour Church of Arrah,Bihar

बिहार में का बा ?

जॉर्ज पंचम होली सेवियर चर्च ,भोजपुर (आरा )

आरा ,बिहार के वीर कुंवर सिंह मैदान के पश्चिमी -दक्षिणी हिस्सा और सदर अनुमंडलाधिकारी के आवास के बीच. मे अवस्थित ,एक प्राचीन चर्च ,ऐतिहासिक दृटिकोण से यह बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर है| यह पूरी तरह से इंग्लिश शैली मे निर्मित भवन है | देश मे इस शैली के चर्च गिना चुना ही है इसकी बनावट और मजबूती के कारण शहर के साथ -साथ पुरे बिहार का आकर्षण का केंद्र है |
ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि के अनुसार कभी जर्ज पंचम को प्रार्थना के लिए इसका निर्माण करवाया गया था | सन 1911 मे भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनी इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम को कोलकाता से दिल्ली जाने के क्रम मे आरा मे एक रविवार पड़ता था , इसी रविवार के मद्देनज़र बहुत ही धार्मिक प्रवृति के जॉज पंचम को प्रार्थना के लिए इस चर्च का निर्माण करवाया गया था | प्रार्थना के दिन आरा रेलवे स्टेशन से चर्च तक के रोड को रेड कारपेट बिछाया गया था | जॉर्ज पंचम के बाद इस चर्च को फौजी यहाँ प्रार्थना करते थे | आज़ादी के पूर्व इसमें एक लाइब्रेरी थी जिसमे अधिकांश धार्मिक पुस्तकों के आलावा अन्य पुस्तके थी | आज़ादी के बाद अंग्रेज फौजियों के यहाँ से जाने के बाद चर्च ऑफ़ नार्थ इंडियन , भागलपुर के इस चर्च को मेथोडिस्ट चर्च को सौप दिया |चर्च मे पुलपिट (प्रार्थना वेदी ) के पीछे के हिस्से मे बहुत ही आकर्षक रंगीन शीशे लगे थे जिस पर जीजस की तस्वीर बनी थी |इस शीशे से जब सूर्ये की रौशनी चर्च मे आती थी तो बहुत सूंदर लगता था ,साथ ही पादरी के लिए बहुत ही सूंदर कुर्सी भी थी | लेकिन समय के साथ – साथ और सरकार की अनभिज्ञता
के कारण आज यह चर्च जर -जर अवस्था मे पहुंच गई है | अधिकांश वस्तुए चर्च की चोरी हो गई है ,या क्षतिग्रस्त हो चुकी है इसे बिहार सरकार के द्वारा पर्यटन और ऐतहासिक धरोहर और शहरी सौंदर्यकरण के लिए इसे बिकसित किया का सकता है |
ऐसा उम्मीद की जा सकती है बिहार सरकार के द्वारा इसे आमूल धरोहर को बचाया जायेगा और पर्यटन के क्षैत्र मे इसे बिकसित किया जायेगा|

Story By :Bipin Bihari Prasad(Email: prasad.bipin98@gmail.com)

New VHP President:Dr R N Singh

बिहार के विश्व विख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ हाथो में विहिप (VHP) की कमान :रबिन्द्र नारायण सिंह

पेशे से विश्व विख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ रबिन्द्र नारायण सिंह जो मूलतः बिहार के सहरसा के निवासी है |
विदेश से एक सफल एवं उज्जवल भविष्य को त्याग कर अपने पिता के इच्छा का मान रखते हुए बिहार लौट आये,
अपने पेशे के साथ पूरी ईमानदारी निभाते हुए कभी अपनी सामाजिक दायित्वों को निभाने में पीछे नहीं हटे |
वर्ष 2010 में स्वस्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि के कारण राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के द्वारा पद्म भूषण अवार्ड से सम्मनित किये गए|
इतनी उपलब्धिया होने के बावजूद आज भी अपने गांव गोलमा ,सहरसा से दिल से जुड़े हुए है इसका गवाह वहाँ करोड़ो खर्च कर अपने स्वजन ग्रामीणों के लिए 100 बेड का अस्पताल है जहां आज भी खुद सेवा देने पहुंचते है|
डॉ सिंह के जज्बे को सलाम |
जहां इस भौतिकवादी दुनिया को अपने लिए समय नहीं है वही हमारे बीच श्री सिंह जैसे लोग एक उम्मीद की किरण है|

डॉ. आरएन सिंह पूर्व विहिप अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश विष्णु सदाशिव कोकजे का स्थान लेंगे. उन्होंने अध्यक्ष पद स्वीकार करने के बाद कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और इसमें बहुत काम करना है |

धन्यवाद् सर हम बिहारियों का मान बढ़ाने के लिए |

JAI BIHAR,JIYO BIHARI

BIHARI Girl in the Headlines again:WBCS TOPPER

बिहार की बेटी ने बिहार का मान बढ़ाया,बनी WBCS (WEST BENGAL CIVIL SERVICE) TOPPER

WBCSTOPPER

आकांक्षा सिंह मूलतः बिहार के बक्सर जिले के ब्र्हम्पुर ब्लाक बलुआ गांव निवासी है | संभवतः ये पहला मौका जब किसी किसी हिन्दीभाषी ने बंगाल में प्रशासनिक सेवा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है आकांक्षा की इस उपलब्धि से पूरा बिहार गौरान्वित है WBCS 2019 में कुल ७०(70) अभयर्थी सफल हुए जिनमे आकांक्षा सिंह ने प्रथम स्थान प्राप्त हुआ इनका चयन राजस्व सेवा में हुआ है | इनके मन में सिविल सेवा में जाने कीइच्छा बचपन से थी इंजीनियरिंग (IEM ,KOLKATA )करने के बाद कई सॉफ्टवेयर कम्पनियो में चयनित होने के बावजूद भी इन्होने इन्हे ठुकराकर अपने सपनो के लिए लगातार प्रयास करती रही | और दूसरे प्रयास में शानदार सफलता प्राप्त की |

वर्तमान में आकांक्षा सिंह स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के कल्याणी शाखा में प्रोबासनरी अफसर के रूप में कार्यरत है इनकी शिक्षा हावड़ा में ही हुई | है और इनका परिवार पूरी तरह से वहां बसा हुआ है जिसके कारण इन्हे बांग्ला भाषा का लिखना पढ़ना आता है
जिसका फायदा इनको प्राप्त हुआ |


सभी बिहारियों को गौरवांतित करने के लिए धन्यवाद |

Bihar State Song

मेरे भारत के कंठ हार भारतीय राज्य बिहार का राज्य गीत है। गीत सत्य नारायण द्वारा लिखे गए थे और संगीत हरि प्रसाद चौरसिया और शिवकुमार शर्मा ने दिया था। गीत को आधिकारिक तौर पर मार्च 2012 में अपनाया गया था। राज्य गान, बिहारी बंधन को मजबूत करने का प्रयास है बिहार के गौरवशाली अतीत और उसके उज्ज्वल भविष्य का अन्वेषण करें।

मेरे भारत के कंठहार
तुक्षको शत – शत वंदन बिहार
तू वाल्मीकि की रामायण
तू वैशाली का लोकतंत्र
तू बोधिसत्व की करुणा है
तू महावीर का शांतिमंत्र
तू नालंदा का ज्ञानदीप
तू हीं अक्षत चंदन बिहार
तू है अशोक की धर्मध्वजा
तू गुरुगोविंद की वाणी है
तू आर्यभट्ट तू शेरशाह
तू कुंवर सिंह बलिदानी है
तू बापू की है कर्मभूमि
धरती का नंदन वन बिहार
तेरी गौरव गाथा अपूर्व
तू विश्व शांति का अग्रदूत
लौटेगा खोया स्वाभिमान
अब जाग चुके तेरे सपूत
अब तू माथे का विजय तिलक
तू आँखों का अंजन बिहार
तुक्षको शत – शत वंदन बिहार
मेरे भारत के कंठहार

इस बिहार गान पढ़ने या सुनने के बाद ये महसूस होता है की हम अपने स्वर्णिम इतिहास को याद कर, अपने बिहार को उसकी खोई हुई पहचान से परिचय कराये | हम बिहारी देश विदेश जहां भी बसे है वहां के होकर भी अपने ह्रदय में अपने बिहार के तरक्की के सपनो संजो के रखे और जो भी हम कर सके उसे करने का एक बार प्रयास करे ,और हमारा ये पोर्टल भी इसी तरह का एक प्रयास है अपने बिहार और अपने बिहारी भाइयो और बहनो के लिए |हमारे पूर्वजो को शत शत नमन इस पुण्य भूमि को संचित करने के लिए |

www.prooudtobebihari.com

बिंदेश्वर पाठक कौन है ?

Dr. Bindeswar Pathak

डॉ.बिंदेश्वर पाठक एक भारतीय समाजशास्त्री और सामाजिक उद्यमी हैं।इनका जन्म २ अप्रैल १९४३ को बिहार के वैशाली जिले रामपुर बघेल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।श्री बिंदेश्वर पाठक ने अपना सारा बचपन और किशोरावस्था उस गाँव में बिताई जहाँ उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।बाद में उच्च शिक्षा के लिए पटना चले गए और बी.एन.महाविद्यालय से उन्होंने समाजशास्त्र में स्नातक किया।

डॉ. बिंदेश्वर पाठक द्वारा सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना 1970 में की, स्वच्छता के क्षेत्र में सुलभ का योगदान बड़े पैमाने पर स्मारकीय हैऔर स्वच्छता के लिए तैयार किए गए मानवाधिकारों के मायने में ऐतिहासिक है।

सुलभ इंटरनेशनल (गैर लाभ संगठन) जो भारत स्थित एक सामाजिक सेवा संगठन है जो शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।

पुरस्कार और उपलब्धियां

1.पद्मा विभूषण (1991)
2.इंटरनेशनल संत फ्रांसिस अवार्ड ,पोप जॉन पॉल II के द्वारा (1992)

3.ग्लोबल ५०० रोल ऑफ़ ऑनर ,UNEP और UN -हैबिटैट स्क्रॉल ऑफ़ ऑनर (2003)
4.दुबई इंटरनेशनल अवार्ड (2004)
5.गुड कॉर्पोरेट सिटीजन अवार्ड ,डॉ ए.पी.जे . अब्दुल कलाम आज़ाद के द्वारा (2005)
6.एनर्जी ग्लोब अवार्ड (2007)
7.स्टॉकहोल्म वाटर अवार्ड (2009)

8.इंडियन ऑफ़ द ईयर,CNN NEWS 18 के द्वारा (2015)
9.WHO पब्लिक हेल्थ चैंपियन अवार्ड (2016)
10.लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवार्ड ,पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,अकैडमिक्स और मैनेजमेंट (2017)
11.२३वां Nikkei एशिया अवार्ड (2018)
12.गाँधी शांति पुरस्कार (2019)

हमें गौरवान्वित करने के लिए धन्यवाद |

क्या आपने टॉयलेट म्यूजियम(Toilet Museum)के बारे में सुना है ?

हाँ सही पढ़ रहे है आप टॉइलेट म्यूजियम और कहीं नहीं अपने ही देश में स्थित है
ये भी एक बिहारी दिमाग के कमाल का एक अनोखा उदाहरण है
उन महानुभाव का नाम श्री बिंदेश्वर पाठक है जो की सुलभ इटरनेशनल संस्था के संस्थपाक भी है
आज भारत के सभी शहरो और कस्बो में जो सुलभ शौचालय नज़र आते है वो सभी इसी संस्था के द्वारा संचालित होती है
जिसका प्रयोग हर आम भारतीय सफर के दौरान करता है
इस म्यूजियम में आपको २५०० BC से आज तक प्रयोग में आने वाले शौचालयों का अद्भुत संग्रह है

सुलभ इंटरनेशनल का शौचालय संग्रहालय (International Museum of Toilets) विश्व के सबसे विचित्र संग्रहालयों में से एक है। सुलभ इंटरनेशनल द्वारा संचालित दिल्ली में स्थित एक संग्रहालय है जो स्वच्छता तथा शौचालयों के वैश्विक इतिहास को समर्पित है। यह संग्रहालय इसके संस्थापक श्री बिंदेश्वर पाठक के अनोखे विचार का जीवंत उदहारण है

Timings
Open 7 Days a Week
Timings : Week Days: (Monday to Saturday) 8am to 8pm
Sunday & National Holidays: 10am to 5pm
Entry & Parking absolutely free for every visitor

Address
Sulabh Bhawan, Palam Dabri Marg, Mahavir Enclave, Palam, New Delhi, India: 110045

011 – 25031518 & 19

sulabhinfo@gmail.com

महाबोधि मंदिर,गया,बिहार

बिहार की पावन भूमि जहां राजकुमार सिद्धार्थ आये तो, पर महात्मा बुद्ध बनकर पूरी दुनिया को जीवन जीने का रास्ता बताया
बिहार में आज भी सभी बुद्ध से सम्बंधित सभी स्थान मौजूद है जहां जाकर थोड़ा अनुभव प्राप्त कर सकते है
आज भी वो महाबोधि मंदिर में वो बोधि वृच्छ मौजूद है जहाँ पूरी दुनिया के लोग आते है
महाबोधि मंदिर का अर्थ आपके अंदर के बोध को जगाने वाला स्थान होता है ,

इस स्थान के ओज का अनुभव अविस्मरणीय है जो भी एक बार आते है वो पुरे जीवन इसे ह्रदय में संजो कर रखते है
बोधि वृक्ष एक पीपल का बहुत बड़ा पेड़ है जिसके निचे महात्मा बुद्ध ने साधना करके अपनी सभी प्रश्नो का उत्तर पाया !