भारत माता के सपूतों के नामों : 11 अगस्त 1942 को पटना के पास सचिवालय भवन में भारत का झंडा फहराने वाले सात शहीदों को सलाम | 1.उमाकांत प्रसाद सिन्हा (रमन जी) - राम मोहन राय सेमिनरी, कक्षा IX, नरेंद्रपुर, सारण 2.रामानंद सिंह - राम मोहन राय सेमिनरी, कक्षा IX, सहादत नगर, पटना 3.सतीश प्रसाद झा - पटना कॉलेजिएट स्कूल, दसवीं कक्षा, खदहारा, भागलपुर 4.जगतपति कुमार - बिहार नेशनल कॉलेज, द्वितीय वर्ष, खराटी, औरंगाबाद 5.देवीपाड़ा चौधरी - मिलर हाई इंग्लिश स्कूल, कक्षा IX, सिलहट, जमालपुर 6.राजेंद्र सिंह - पटना हाई इंग्लिश स्कूल, दसवीं कक्षा, बनवारी चक, सारण 7.रामगोविंद सिंह - पुनपुन हाई इंग्लिश स्कूल, नौवीं कक्षा, दशरथ, पटना
Day: February 7, 2022
गोलियों को हंसते-हंसते अपने सीने में समा लिया: सतीश प्रसाद झा
बांका जिले में शहीदों के नाम आते ही सतीश प्रसाद झा के नाम लोगों के जुबां पर बरबस ही आ जाते हैं। इनका नाम भारत माता के उन सपूतों के नामों में शुमार रहे हैं जो गुलाम भारत को आजाद कराने में देश के अन्य रणबांकुरों की तरह अपनी-अपनी कुर्बानियां दे दी थी।11 अगस्त 1942 को पटना के पास सचिवालय भवन में भारत का झंडा फहराने वाले सात शहीदों में से एक थे सतीश प्रसाद झा।
सतीश चंद्र झा आजादी की लड़ाई में महज 17 साल की छोटी उम्र में अंग्रेजों की गोलियों को हंसते-हंसते अपने सीने में समा लिया थे। पटना के उस समय के जिलाधिकारी डब्ल्यू जी आर्थर के आदेश पर पुलिस ने गोलियां चलाई थीं। इसमें लगभग 13 से 14 राउंड गोलियों की बौछार हुई थी ।
देश की आजादी के लिए बलिदान देने वाले शहीद सतीश ने 11 अगस्त 1942 को भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर, अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहादत को गले लगाया।शहीद स्मारक सात शहीदों की एक जीवन-आकार की मूर्ति है जिसे आज भी पटना में सचिवालय भवन के बाहर देखा जा सकता है। इन युवाओं ने भारत छोड़ो आन्दोलन (अगस्त 1942) में सचिवालय भवन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया था।