Areraj ka Someshwar mandir

मोतिहारी का अरेराज का शिवमंदिर सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर


ऐतिहासिक पृष्ट्भूमि :-


शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जिसे चंद्र देव ने खुद स्थापित किया था. पूर्वी चंपारण के अरेराज में बने ऐतिहासिक सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर की जिसकी ऐतिहासिकता को किसी प्रमाणिकता की जरुरत नहीं है | स्कन्द पुराण में चन्द्रमा द्वारा स्थापित इस पंचमुखी स्कन्द महादेव मंदिर का जिक्र है.पंचमुखी महादेव मंदिर पूरे भारत में केवल अरेराज में ही है.जहां अभी भी पौराणिक संस्कृति को श्रद्धालु आस्था और पूजा के माध्यम से जीवित रखे हुए हैं. लगभग विलुप्त हो चुके पामरिया नृत्य के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने की परम्परा आज भी अरेराज मे जीवित है, पर अभी भी पर्यटक स्थल की सूची से बाहर है |


एक दूसरी कहानी के अनुसार चन्द्रमा द्वारा स्थापित इस ऐतिहासिक मंदिर की चर्चा स्कन्द पुराण में भी मिलती है.जब अहिल्या प्रकरण में चन्द्रमा शापित हुए थे,तब अगस्त मुनि ने शाप से मुक्ति के लिए चंद्रमा को गण्डकी नदी के तट पर स्थित अरण्यराज में गह्वर में शिवलिंग की स्थापना करने की सलाह दी थी,जिसके स्थापना और पूजा के बाद चंद्रमा शाप से मुक्त हुए थे.
दरअसल,चंद्रमा का पर्यावाची शब्द सोम होता है.इसीलिए इन्हें सोमेश्वर नाथ मनोकामना महादेव कहा जाता है.यहां सच्चे मन से मांगने वाले लोगों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है. इस -लिए इसे मनोकामना नाथ भी कहा जाता है|
युधिष्ठिर राजपाट खोने पर इसी मंदिर पूरे श्रावण मास जलाभिषेक किया था.उसके बाद राजपाट वापस हुआ था. वही जनकपुर से अयोध्या जाने के क्रम में माता जानकी द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की थी.उसके बाद से पुत्र प्राप्ति के लिए विख्यात है.
अरेराज महादेव मंदिर में अभी भी भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखा गया है.जहां लगभग विलुप्त हो चुकी पामरिया नृत्य की परम्परा है.केसरिया प्रखंड के खजुरिया के लोक नर्तक यहां आते हैं और अपने नृत्य से भगवान को प्रसन्न करते हैं.साथ ही जिस महिला श्रद्धालु की मन्नत पूरा हो जाती है.उस महिला श्रद्धालु के आंचल पर पामरिया नृत्य कर भगवान को खुश करते हैं.पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव गीत और संगीत के आदि देव है.इसी लिए पौराणिक पमारिया नृत्य के माध्यम से भगवान शिव को प्रसन्न करने की परम्परा सिर्फ यही पर देखने को मिलती है|

How to reach कैसे पहुंचे :-

अरेराज का ऐतिहासिक सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर उत्तर बिहार का सबसे प्राचीनतम एवं प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो मोतिहारी से 28 किलोमीटर पर दक्षिण में गंडक नदी के किनारे स्थित है। सावन माह में तथा अन्य पर्वो के अवसर पर लाखो श्रद्धालु भक्तजन देश तथा समीपवर्ती नेपाल से यहां लोग आते है। श्रावण में यहां मेला भी लगता है। पर्यटकों का यह प्रिय स्थल बन चुका है। मोतिहारी से 28 किलोमीटर की लिंक पूछा रोड राज्य के सभी प्रमुख सड़क से जुड़ा हुआ है |पटना से साहेबगंज होते हुए केसरिया के रास्ते अरेराज तक बनानेवाली बुद्धा सर्किट को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दे दिया गया है | आने वाले तीन साल मे इसे कार्य को पूरा का लिया जायेगा |

Railway
ट्रैन के द्वारा बापूधाम मोतिहारी देश के सभी प्रमुख स्थानों औऱ शहरो से जुड़ा हुआ है |

Airway
हवाई यात्रा के द्वारा भी जय प्रकाश नारायण हवाई अड्ड़ा ,पटना से मोतिहारी सड़क मार्ग से बस के द्वारा पहुँचा जा सकता है |

प्रेषक :- बिपिन बिहारी प्रसाद
Email prasad.bipin98@gmail.com